वासंतिक नवरात्र की शुरुआत पंचक में हो रही है। इस वजह से नवरात्र बहुत ही खास बन गया है। नवरात्रि में घट की स्थापना भी पंचक काल में ही की जाएगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चन्द्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण करता है तो उसे पंचक कहते हैं।
यह सभी नक्षत्र अशुभ माने जाते हैं, अतः चन्द्रमा का भी इनमें गोचर अशुभ कहा गया है। मान्यताओं के अनुसार इन नक्षत्रों में कार्य शुरू करने पर हानि की संभावना रहती है।
पंडित मनोज पाठक ने बताया कि पंचक 19 मार्च को सुबह 11.17 बजे से शुरू होगा और समापन 23 मार्च को दोपहर 2.08 बजे होगा। इस दौरान सभी प्रकार के शुभ कार्यों को स्थगित कर देना चाहिए। हालांकि पंचक काल में जप और पूजा के अनुष्ठान किए जा सकते हैं।