Sunday, February 23, 2025

मेरठ में भ्रामक आख्यानों से सावधान रहें, सीरियाई घटनाक्रम और इस्लामिक स्टेट का जाल

मेरठ। विश्व में बदलते राजनैतिक हालातों को लेकर आज एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा का आयोजन आईएएस और पीसीएस जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षण संस्थान में किया गया। जिसमें राजनीतिक विश्लेषकों ने अपने विचार रखे। इस परिचर्चा का केंद्र बिंदु सीरिया में हुए घटनाक्रम रहे।

 

जेवर के किसानों का मुआवजा 1200 रुपये वर्ग मीटर बढ़ा,योगी बोले- अंधकार में डूबा जेवर अब चमकने को तैयार

 

परिचर्चा में प्रोफेसर प्रमोद पांडे ने कहा कि सीरिया में हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने गरमागरम बहस और विभिन्न आख्यानों को जन्म दिया है। जिनमें से कुछ खतरनाक रूप से भ्रामक हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ कट्टरपंथियों द्वारा इन घटनाओं को इस्लामिक स्टेट (ISIS) की जीत के रूप में चित्रित करने या उन्हें व्यापक, दैवीय स्वीकृत अभियान के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें मुस्लिम युवाओं को शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विकृत व्याख्या झूठी है और एक खतरनाक जाल है, खासकर युवा और संवेदनशील दिमागों के लिए।

 

अरिहंत प्रकाशन के मेरठ-नोएडा समेत दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी, अरबों की सम्पत्ति मिलने के आसार !

 

मध्य पूर्व में कई अन्य लोगों की तरह, सीरियाई संघर्ष बहुआयामी है। जिसमें विभिन्न गुट नियंत्रण, प्रभाव और अस्तित्व के लिए होड़ कर रहे हैं। ISIS के अवशेषों सहित कुछ चरमपंथी समूह इन घटनाओं को अपने तथाकथित “खिलाफत” के हिस्से के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उनकी कट्टरपंथी विचारधारा में निहित एक अवधारणा है। हालाँकि, यह आख्यान शासन, न्याय और एक इस्लामी राज्य की अवधारणा की सच्ची इस्लामी समझ से बहुत दूर है।

 

मुज़फ्फरनगर में आर्मी के जलते ट्रक से जान बचाने को कूदे सेना के जवान की अस्पताल में दुखद मौत

डॉक्टर एम अस्लम खान ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि “इस्लामिक स्टेट” शब्द केवल एक राजनीतिक नारा नहीं है, न ही इसे हिंसा, उग्रवाद या क्षेत्रीय विजय के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। इस्लाम में इस्लामिक राज्य की सच्ची अवधारणा वह है जो न्याय, शांति और कुरान और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत के आधार पर कानून के शासन को कायम रखती है।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि आईएसआईएस या ऐसे किसी भी समूह की कार्रवाइयां जो खिलाफत स्थापित करने का दावा करती हैं, उग्रवाद, हिंसा और इस्लामी शिक्षाओं की गलत व्याख्या में निहित हैं। ISIS के तहत तथाकथित “इस्लामिक स्टेट” विनाश, उत्पीड़न और आतंकवाद पर आधारित था। उन्होंने कहा कि यह एक राजनीतिक इकाई थी जिसने इस्लाम के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन किया- जैसे न्याय, दया और मानवीय गरिमा के प्रति सम्मान। मुस्लिम उम्माह में शांति और समृद्धि लाने के बजाय, आईएसआईएस ने पीड़ा, रक्तपात और विभाजन लाया। उन्होंने कहा कि इस्लाम के नाम पर आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा और क्रूरता की इसकी रणनीति ने न केवल आस्था को कमजोर किया है बल्कि दुनिया भर के कई मुसलमानों का मोहभंग भी किया है।

 

 

 

 

उन्होंने कहा कि कुछ कट्टरपंथी और चरमपंथी अब सीरिया में हो रहे घटनाक्रम को तथाकथित इस्लामिक स्टेट की जीत के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। उनका उद्देश्य भावनाओं को भड़काकर और खुद को इस्लाम के “सच्चे” रक्षक के रूप में पेश करके मुस्लिम युवाओं को अपने साथ जोड़ना है। वे विजयी खिलाफत के पुनर्जन्म की तस्वीर पेश करने के लिए युद्धों, नारों और यहां तक कि “जिहाद” के संदर्भों की छवियों का उपयोग कर सकते हैं।

 

 

 

 

 

अंतराष्ट्रीय संबंध की जानकार जवाहर लाल नेहरू विवि की रेशम फातिम ने कहा कि मुस्लिम युवाओं को याद रखना चाहिए कि सफलता का सच्चा मार्ग कुरान और सुन्नत की शिक्षाओं का पालन करने, न्याय और धार्मिकता की दिशा में काम करने और हर इंसान की गरिमा को बनाए रखने में निहित है। इस तरह, वे समाज में सकारात्मक योगदान दे सकते हैं, अपने विश्वास की रक्षा कर सकते हैं, और उन लोगों द्वारा बिछाए गए खतरनाक जाल से दूर रह सकते हैं जो अपने चरमपंथी एजेंडे के लिए उनका शोषण करना चाहते हैं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय