Sunday, April 13, 2025

वीतराग संग स्वामी कल्याण देव को मिले भारत रत्न, न्याय पार्टी ने ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा

मेरठ। न्याय पार्टी ने वीतराग संत, शिक्षा ऋषि, ‘विश्वकर्मा कुलभूषण’ शुकतीर्थ धाम के जीर्णोद्धारक स्वामी कल्याणदेवजी महाराज को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग की है। न्याय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहंसर पाल पांचाल एवं राष्ट्रीय महासचिव वरिष्ठ अधिवक्ता पवन कुमार धीमान ने इस संबंध में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन बुधवार को कलक्ट्रेट में जिलाधिकारी मेरठ को दिया।

 

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सहंसर पाल पांचाल एवं पवन धीमान ने कहा कि वीतराग संत स्वामी कल्याणदेवजी महाराज ने अपना समस्त जीवन समाज कल्याण का कार्य करते हुए व्यतीत किया। वह स्वयं उच्च शिक्षित नहीं थे, लेकिन समाज मे जागृति लाने के लिए ‘शिक्षा दान’ का संकल्प लिया और शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। स्वामीजी ने अपने जीवनकाल में 300 से अधिक शिक्षण संस्थाएं स्थापित कर कीर्तिमान स्थापित किया। शिक्षा का प्रचार-प्रसार कर लोगों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। स्वामीजी का मानना था कि बिना शिक्षा के समाज व मानव का कल्याण संभव नहीं है। स्वामीजी तीन सदी के दृष्टा थे। उन्होंने स्वामी विवेकानंद व महात्मा गांधी से प्रेरणा लेकर अंग्रेजी शासन के दौर में हिन्दी व खादी का प्रचार कर ग्रामीण क्षेत्र में स्वराज व स्वदेशी की चेतना जागृत की। अपने अथक प्रयास से पौराणिक स्थल शुक्रताल को दिव्य-भव्य शुकतीर्थ धाम के नाम से विकसित कर मनोरम तीर्थस्थल बनाया, जो मुजफ्फरनगर जिले का गौरव बढ़ा रहा है।
ज्ञापन देने के दौरान न्याय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसपी. सिंह पांचाल, राष्ट्रीय महासचिव एडवोकेट पवन कुमार धीमान, एडवोकेट सतेंद्र जांगिड़, एडवोकेट सौरभ धीमान, एडवोकेट विनय धीमान, एकडवोकेट सचींद्र धीमान, विकास कुमार, अंकित कुमार व विपिन शर्मा आदि उपस्थित रहे।

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इससे पूर्व बीती 29 मार्च को मुजफ्फरनगर के सपा सांसद हरेंद्र मलिक ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर भागवत जन्मभूमि शुकतीर्थ के जीर्णोद्धारकर्ता 129 वर्ष की आयु में  ब्रह्मलीन हुए स्वामी कल्याणदेवजी महाराज को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की मांग की थी।
सांसद ने पत्र में लिखा था कि अपने अथक पुरुषार्थ, तप, त्याग से स्वामी कल्याणदेवजी महाराज ने शुकतीर्थ का कायाकल्प किया था। वीतराग संत का निष्काम जीवन राष्ट्र के उत्थान तथा गरीबों, जरूरतमंदों और दीन-दुखियों की निःस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित रहा। पराधीन भारत में ग्रामोत्थान के लिए पूज्य संत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उनके ग्रामीण अंचल में अशिक्षा का अंधियारा मिटाने का संकल्प लिया। कर्मयोगी ने भारत में 250 से अधिक शिक्षण संस्थाए स्थापित कीं, जिनमें प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, डिग्री कालेज, पॉलिटेक्निक, आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज, कृषि विज्ञान केंद्र, संस्कृत पाठशालाएं, वृद्धाश्रम, गऊशालाएं और धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा की अनेक संस्थाएं स्थापित की। सांसद ने लिखा है कि वह स्वयं स्वामीजी द्वारा स्थापित शिक्षण संस्थान के विद्यार्थी रहे हैं।
भागवत कथा का सर्वप्रथम प्रसारण शुकतीर्थ की पावन धरा पर होने के कारण यह पवित्र तीर्थस्थान भागवत की उद्गमस्थली, भागवत पीठ के नाम से विश्वविख्यात है। इसके अतिरिक्त उन्होंने कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, हस्तिनापुर, तीर्थगुरु पुष्कर तथा वैष्णो देवी जैसे तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्धार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पूज्य स्वामीजी के निमंत्रण पर 26 नवंबर, 1958 को शुकतीर्थ दर्शन को पधारे थे। प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी पधारे और वीतराग संत में भेंट की थी। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत ने पूज्य संत का सानिध्य प्राप्त किया था। ‘भारत रत्न’ पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा, चौधरी चरण सिंह, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि शीर्ष राजनीतिज्ञ उनके सेवा कार्यों से अभिभूत थे।

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पूज्य स्वामीजी ने शुकतीर्थ के गंगा तट पर 527 वीर शहीद सैनिकों की स्मृति में ‘कारगिल शहीद स्मारक’ का भव्य निर्माण कराया था। 25 फरवरी, 2004 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत यहां कारगिल विजयंत टैंक का शिलान्यास करने स्वयं पधारे थे। वीतराग संत की अमूल्य राष्ट्र सेवाओं के दृष्टिगत भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्मश्री’ व ‘पद्मभूषण’ आदि राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत किया था।
महान संत विभूति के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक अभिनंदन ग्रंथ भी प्रकाशित हुआ, जिसका विमोचन वर्ष 2002 में नई दिल्ली में अपने आवास पर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। देश-विदेश के भागवत भक्तों तथा वीतराग संत के अनुयायियों, शिक्षा जगत से जुड़े व्यक्तियों तथा गरीब, किसान, मजदूरों की इच्छा है कि महान सेवाभावी संत को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया जाये। भारत सरकार की ओर से महान संत को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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