नयी दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत में अंगीकृत लिखित संविधान के दीर्घजीवी और सफल होने का श्रेय भारत की जनता को देते हुए मंगलवार को राज्य सभा में कहा कि कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व संविधान की सांस्कृतिक और सभ्यतागत भावनाओं को पहचानने में असमर्थ दिखता है और इसको लेकर भ्रम फैलाने की विफल कोशिशें करता है ।
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यादव ने संविधान की 75वर्ष की गौरवशाली यात्रा पर सदन की चर्चा में भाग लेते हुए कहा दुनिया में लिखित संविधानों की औसत आयु 17 वर्ष रही है। पश्चिमी यूरोप और एशिया में लिखित संविधानों की औसत आयु क्रमश: 32 वर्ष और 19 वर्ष रही। उन्होंने कहा, “भारत में दुनिया के सबसे बड़े लिखित संविधान की इस दीर्घकालिक स्वर्णिम यात्रा के किसी को श्रेय जाता है तो वह हमारे देश की जनता है।” उन्होंने कहा कि भारत की जनता संविधान में निहित हमारे प्राचीन काल से चले आ रहे सांस्कृतिक और सभ्यतागत भावों के साथ जीवन जीती है।
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यादव ने सरकार के सुधारवादी कदमों के प्रति कांग्रेस के विरोध की आलोचना करते हुए कि संविधान की सभ्यतागत भावनाओं की अनदेखी करने के कारण ही कांग्रेस हमसे कहती है कि हम इतिहास की ओर क्यों देखते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष में रहते हुए पंचायती राज के लिए संविधान संशोधन विधेयक जैसे राष्ट्र हित के हर कदम में सरकारों का साथ दिया पर “कांग्रेस पिछले दस वर्ष में देश के हर गौरवशाली अवसर पर मैदान छोड़ती नजर आयी है।”
उन्होंने भारत के संविधान की हस्त लिखित मूल प्रति में विभिन्न अध्यायों और अनुच्छेदों के साथ राम-सीता, बुद्ध, नालंदा, वैदिक गुरुकुल, नटराज, महाबलिपुरम आदि भारत की पुरातन सभ्यता, संस्कृति और जीवन मूल्यों के प्रतीक नायकों और संस्थाओं एवं संगठनों के चित्रांकन विस्तार से वर्णन करते हुए कांग्रेस की ओर संकेत करते हुए कहा, “आप इन चित्रों को देखते तो आप जेब में संविधान की छपी किताब के साथ नहीं हमारे संविधान की आत्मा और भावना के साथ चलते।”
यादव ने कहा कि हमारे संविधान के संस्थागत भावाें को न समझने के कारण ही पाकिस्तान जैसे कभी भारतभूमि का हिस्सा रहे पड़ोसी देशों में जुर्म का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाले नागरिका संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध किया गया।
उन्होंने कहा कि संविधान के आवरण पर भारत के प्रतीक चिह्न (अशोक की लाट के सिंहों) के नीचे मुंडकोपनिषद का सूत्र -सत्यमेव जयते लिखा है जिसका अर्थ है कि अंतिम विजय सत्य के रास्ते पर चल कर ही प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस ने संविधान में बदलाव को लेकर असत्य प्रचार किया। लोक सभा चुनाव के समय भ्रम थोड़ा चल गया, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र में ‘असत्य हारा और सत्य की जीत हुई।”
उन्होंने कांग्रेस के एक शीर्ष नेता की ‘‘अभयमुद्रा” की व्याख्या को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस ‘‘अभयमुद्राइज्म” के विचारक और दार्शनिक जयराम रमेश (राज्य सभा के सदस्य) हैं। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान केवल बहस के लिए नहीं है बल्कि इसका इसके सभ्यतागत और संस्कृतिक भावनाओं के साथ अंगीकार किया गया है और उसके साथ ही इसकों लगू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अभयमुद्रा में जातीय जनगणना नहीं आती, हमारे संविधान के अध्याय में नटराज का चित्र है जो शिवतत्व को दर्शाता है। जहां शिवतत्व है वहां कोई जाति भेद नहीं हो सकता है।
यादव ने कांग्रेस पार्टी की विगत की सरकारों के समय संविधान की भावनाओं की उपेक्षा करने और पक्षधर न्यायाधीशों की नियुक्ति कर के न्यायपालिका को प्रभावित करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसी संदर्भ में 1970 के दशक में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को खारिज किए जाने के दौर में एक साथ उच्चतम न्यायालय के तीन-तीन न्यायाधीशों की वरीयता की उपेक्षा कर न्यायमूर्ति एएन राय को मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने, कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य बहरुल इस्लाम को गुवाहाटी पहले उच्चन्यायालय का जज और फिर उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीय बनाने और न्यायमूर्ति एमएच बेग और न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा को पद और पुरस्कार दिए जाने के विषयों का भी उल्लेख किया।