Sunday, December 22, 2024

गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को लेकर विधेयक लोकसभा में पेश

नयी दिल्ली। गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटें आरक्षित किये जाने के वास्तेे गोवा राज्य विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व का समायोजन विधेयक 2024 पर आज लोकसभा में विचार विमर्श शुरू हुआ।

 

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विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने आज यहां सदन में यह विधेयक विचार एवं पारित किये जाने के लिए पेश किया। इस विधेयक को लोकसभा में सदन के पटल पर इसी वर्ष पांच अगस्त को पेश किया गया था। विधेयक गोवा विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के वक्तव्य में कहा गया है कि वर्तमान में गोवा विधानसभा में एसटी समुदायों के व्यक्तियों के लिए कोई आरक्षण नहीं है।

 

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इसका कारण ऐतिहासिक रूप से मान्यता प्राप्त एसटी समुदायों की कम जनसंख्या है। हालांकि समय के साथ कुछ समुदायों को एसटी के रूप में मान्यता मिलने से इस स्थिति में बदलाव आया है। विधेयक में जनगणना आयुक्त से यह अपेक्षित है कि वह राज्य में एसटी समुदायों से संबंधित व्यक्तियों की जनसंख्या का अनुमान लगाए। यह अनुमान 2001 की जनगणना पर आधारित होगा। जनगणना आयुक्त की नियुक्ति जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

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इस विधेयक के पारित होने के बाद चुनाव आयोग विधानसभा में सीटों के आरक्षण के प्रावधान के लिए परिसीमन आदेश में संशोधन करेगा। यह जनगणना आयुक्त द्वारा निर्धारित जनसंख्या पर आधारित होगा। परिसीमन आदेश में संशोधन करने से पहले चुनाव आयोग को जनता से सुझाव आमंत्रित करने चाहिए और आपत्तियों पर विचार करना चाहिए। आरक्षण वर्तमान विधानसभा के भंग के बाद होने वाले सभी चुनावों पर लागू होगा।

 

इस मौके पर मेघवाल ने कहा कि वर्ष 2002 मेंं गोवा विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन किया गया था। उस समय पर आदिवासी समुदाय की आबादी 566 थी। इसके बाद वर्ष 2003 तत्कालीन सरकार ने तीन जनजातियों को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया जिससे आदिवासियों की आबादी एक लाख 49 हजार 275 हो गयी थी। उन्होंने कहा कि इसलिए अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों को परिसीमित करने के लिए यह विधेयक लाया गया है।

 

 

चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के कैप्टन विरिआतो फर्नांडीज़ ने कहा कि गोवा में 1000 वर्ष से अधिक पुरानी जनजातियां है जिनमें अनेक लोगों ने झारखंड में जाकर टाटा के उपक्रम में जमशेदपुर बनाने में योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2021 में गोवा में आकर कहा था कि जनजातियों को आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी गोवा में केवल एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए एक भी सीट नहीं है। इस विधेयक से आरक्षण मिलने के साथ ही जनगणना आयोग को गोवा की जनजातीय आबादी की घोषणा करने का अधिकार मिलेगा।

भाजपा के धवल गणेश भाई पटेल ने कहा कि कांग्रेस के शासन में आदिवासी समुदायों को कुछ नहीं मिला लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने आदिवासियों के कल्याण के लिए हजारों करोड़ रुपए का आवंटन किया और उनकी प्रगति की चिंता की। उन्होंने गाेवा की जनजातियों के आरक्षण के फैसले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि श्री राहुल गांधी ने अमेरिका में कहा था कि वह आरक्षण को खत्म करेंगे।

समाजवादी पार्टी के छोटेलाल ने कहा कि परिसीमन आदेश में संशोधन के साथ ही इस आरक्षण को स्थायी बनाने के लिए इस विधेयक को संविधान की नौंवीं अनुसूची में डाल देना चाहिए तभी इसे संरक्षित किया जा सकता है।उन्होंने असम में एक करोड़ संथाल, उरांव और चाय बगान के श्रमिकों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग की।

तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने विधेयक का समर्थन करते कहा कि देर आये, दुरुस्त आये। उन्होंने अनुसूचित जनजाति के लिए सरकार के प्रयासों को अपर्याप्त बताया और पर्याप्त कदम उठाने की मांग की।

द्रविड़ मुनेत्र कषगम के डी एम कदिर आनंद ने कहा कि सरकार को सबसे पहले देश की जनगणना करानी चाहिए जिससे सभी वर्गों की सही संख्या का पता लग सकेगा और इसके बाद उनके लिए संवैधानिक स्थान की हिस्सेदारी का आवंटन किया जाना चाहिए।

तेलुगू देशम पार्टी के अंबिका जी. लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने चर्चा में शामिल होते हुये कहा कि देश में वाल्मीकि समाज के लोगों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने हमें संविधान दिया और उसमें वाल्मीकि समाज के मुद्दों को उठाया था, लेकिन उनकी भावना के अनुरूप इस समाज के लोगों को न्याय नहीं मिल पाया है। वाल्मीकि समाज के लोगों की दिक्कतों की ओर ध्यान दिया जाना चाहिये और उन्हें दूर किया जाना चाहिये। वह इस विधेयक का समर्थन करते हैं।

जनता दल (यूनाइटेड) के डॉ. आलोक कुमार सुमन ने कहा कि गोवा में अनुसूचित जनजाति के लोगों को विधायिका में प्रतिनिधित्व नहीं मिल पा रहा था, इस विधेयक के माध्यम से उन्हें प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की बेहतरी के लिये अनेक कार्य किये हैं, उसी तरह देश के अन्य क्षेत्रों में भी इन वर्गों के लिये काम किये जाने चाहिये।

उन्होंने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे संस्थानों में अध्ययनरत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों की बढ़ती आत्महत्या के कारणों का पता लगाकर उन्हें दूर किया जाना चाहिये।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की अनुप्रिया सुले ने धनगर और मराठा समुदाय के लिये आरक्षण की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिये बहुत काम किये हैं, लेकिन अभी और काम किये जाने

की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा विद्यालय जैसे प्रयास आदिवासियों को आगे ले जाने के लिये बहुत अच्छे हैं, इन्हें और आगे ले जाना चाहिये।

कांग्रेस के नामदेव किरसन ने चर्चा में शामिल होते हुये कहा कि 150 वर्षों में पहली बार जनगणना विलंबित की जा रही है। मोदी सरकार जाति आधारित जनगणना नहीं करना चाहती है, इसलिये जनगणना में देरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना की जानी चाहिये जिससे सभी लोगों को न्याय दिया जा सके।

भाजपा के तापिर गाव ने कहा कि गोवा के पुर्तगालियों से मुक्त किये जाने के इतने वर्षों बाद वहां अनुसूचित जनजाति के लोगों को न्याय नहीं दिया गया, कांग्रेस को इसका जवाब दिया जाना चाहिये।

शिवसेना के नरेश गनपन म्हस्के ने कहा कि दशकों से यह समुदाय उपेक्षित था, सरकार के इस कदम से उन्हें न्याय मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा जयंती को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष से वह अपील करते हैं, राजनीति से उठकर अनुसूचित जाति, जनजाति के उत्थान के लिये सहयोग करें।

भाजपा के राजू बिस्टा ने गोरखाओं की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुये कहा कि उनके सीमाओं पर तैनात होने के कारण हम चैन से सोते हैं। वह गोरखाओं के उत्थान के लिये काम करने की अपील करते हैं।

वाईएसआरसीपी की डॉ. गुम्मा तनुजा रानी ने कहा कि अनेक सरकारों ने अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों की उपेक्षा की है। इसकी वजह से इन वर्गों के लोग अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाये हैं। अनूसूचित जनजाति के लोगों को मलेरिया,डेंगू और अन्य बीमारियां हो जाती हैं। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये। इस वर्ग के युवा बेरोजगार हैं, वे नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। इस पर भी ध्यान रखा जाना चाहिये।

 

राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने चर्चा में शामिल होते हुये कहा कि यह विधेयक महत्वपूर्ण प्रश्न खड़ा करता है। क्या अन्य राज्यों में भी अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या बढ़ रही है, उसके अनुरूप विधायिका में इस वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के प्रावधान किये जायेंगे। झारखंड, ओडिशा और बिहार में अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या बढ़ रही है, क्या वहां इस वर्ग के लोगों को उचित प्रतिनिधित्व दिये जाने के उपाय किये जायेंगे।

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