Monday, December 23, 2024

बिलकिस बानो मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दोषियों की सजा माफी की अर्जी को तरजीह दी गई थी या नहीं, जांच करनी होगी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उसे इस बात की जांच करनी होगी कि क्या बिलकिस बानो मामले में दोषियों की सजा माफी की अर्जी को गुजरात सरकार ने कोई तरजीह दी थी।

न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्‍ज्‍वल भुइयां की पीठ ने टिप्पणी की कि कुछ दोषी ऐसे हैं जो “अधिक विशेषाधिकार प्राप्त” हैं, क्योंकि आमतौर पर जल्दी रिहाई से इनकार करने के खिलाफ मामले दायर किए जाते हैं।

पीठ 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्‍कर्म और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार कर रही थी।

सुनवाई के दौरान एक दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि अपराध की गंभीरता शीघ्र रिहाई को चुनौती देने का एक कारक नहीं हो सकती है, क्योंकि छूट देना अपराधियों के पुनर्वास और सुधार के लिए है।

मामला 20 सितंबर को भी जारी रहने की संभावना है।

पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने और शीर्ष अदालत के समक्ष दायर किए गए उनके अंतरिम आवेदन पर फैसले का इंतजार किए बिना उन पर लगाए गए जुर्माने को जमा करने के लिए दोषियों से सवाल किया था।

दोषियों ने कहा कि हालांकि जुर्माना जमा न करने से छूट के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ता है, फिर भी “विवाद को कम करने” के लिए इसे जमा कर दिया गया है।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब गुजरात सरकार ने पिछले साल 15 अगस्त को अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को रिहा करने की अनुमति दी थी, तब जुर्माना नहीं भरा गया था।

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा था कि दोषियों ने उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया है और जुर्माना न चुकाने से छूट का आदेश अवैध हो जाता है।

दोषियों ने तर्क दिया था कि शीघ्र रिहाई की मांग करने वाले आवेदनों पर शीर्ष अदालत के पहले के आदेश के अनुसार गुजरात सरकार द्वारा विचार किया गया था और न्यायिक आदेश का सार रखने वाले माफी आदेश को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती है।

मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी और कहा था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे।

 

 

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय