नई दिल्ली। सूत्रों ने बताया कि सरकार 31 जुलाई को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित चार विधेयकों को पारित कराने की कोशिश कर सकती है।
ये चार विधेयक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023, संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023, संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2023 और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 हैं।
जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 के माध्यम से जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में नई धाराएं 15ए और 15बी जाएंगी ताकि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधानसभा में कश्मीरी प्रवासी समुदाय से दो से अधिक सदस्यों को नामांकित न किया जा सके, जिनमें से एक महिला होगी। इसके अलावा “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापित व्यक्तियों” में से एक सदस्य को विधानसभा में नामांकित किया जा सके।
यह मूल अधिनियम की धारा 14 की उप-धाराओं (3) और (10) में भी संशोधन करना चाहता है जो जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में परिसीमन प्रक्रिया के बाद जरूरी हैं।
संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) अनुसूचित जाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 के जरिये संविधान (जम्मू एवं कश्मीर) की अनुसूची में संशोधन का प्रस्ताव है।
इसका उद्देश्य अनुसूचित जाति आदेश, 1956 प्रविष्टि 5 में वाल्मिकी (केवल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में) को शामिल करना है।
संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 के जरिये संविधान (जम्मू और कश्मीर) अनुसूचित जनजाति में संशोधन का प्रस्ताव है।
इसका उद्देश्य जनजाति आदेश, 1989 में संशोधन कर जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों की सूची में “गड्डा ब्राह्मण”, “कोली”, “पददारी जनजाति” और “पहाड़ी जातीय समूह” समुदायों को शामिल करना है।
जम्मू एवं कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 का उद्देश्य आरक्षण अधिनियम की धारा 2 में संशोधन करना है, ताकि खंड के उप-खंड (iii) में आने वाले “कमजोर और विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों (सामाजिक जातियों)” के नामकरण को बदला जा सके।
उपरोक्त संशोधन जम्मू और कश्मीर सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग आयोग (एसईबीसीसी) की सिफारिशों के आधारा पर प्रस्तावित हैं, ताकि आम जनता के साथ-साथ पात्र व्यक्तियों को प्रमाणपत्र जारी करने वाले सक्षम अधिकारियों के बीच भ्रम को दूर किया जा सके। प्रस्तावित संशोधन संविधान (105वां संशोधन) अधिनियम, 2021 को अक्षरश: लागू करने में भी सक्षम बनाएगा।
सूत्रों ने बताया कि सरकार अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 को पारित कराने की भी कोशिश कर सकती है, जिसका उद्देश्य समुद्र तल में खनन किए गए खनिजों की उसी दिन नीलामी की अनुमति देना है।
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2023 केवल प्रतिस्पर्धी बोली द्वारा नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्र को उत्पादन पट्टा देने का प्रावधान करता है।
यह केंद्र सरकार द्वारा आरक्षित खनिज वाले क्षेत्रों में किसी सरकार या सरकारी कंपनी या निगम को प्रतिस्पर्धी बोली के बिना परिचालन अधिकार प्रदान करने का भी प्रावधान करता है।
विधेयक में एक समग्र लाइसेंस पेश करने की योजना है, जो उत्पादन संचालन के बाद अन्वेषण के उद्देश्य से दिया गया दो चरण का संचालन अधिकार होगा। यह लाइसेंस भी निजी क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बोली द्वारा नीलामी के माध्यम से ही दिया जाएगा।
हालाँकि, विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, परमाणु खनिजों के मामले में, अन्वेषण लाइसेंस या उत्पादन पट्टा केवल सरकार या सरकारी कंपनी या निगम को दिया जाएगा।
प्रस्तावित कानून में उत्पादन पट्टे के नवीनीकरण के प्रावधान को हटाने और उत्पादन पट्टे के लिए 50 साल की एक निश्चित अवधि प्रदान करने का भी प्रावधान है, जो खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के समान है।
यह उस क्षेत्र को सीमित करने का भी प्रयास करता है, जिसे कोई व्यक्ति किसी खनिज या संबंधित खनिजों के समूह के संबंध में प्राप्त कर सकता है, जैसा कि नियमों द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।
विधेयक का उद्देश्य एक अपतटीय क्षेत्र खनिज ट्रस्ट स्थापित करना, अन्वेषण के लिए धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने, अपतटीय खनन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने, आपदा राहत, अनुसंधान और अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए भारत के सार्वजनिक खाते के तहत एक गैर-व्यपगत निधि बनाए रखना है।
प्रस्तावित कानून का उद्देश्य अवैध खनन और अन्य अपराधों के लिए जुर्माने की राशि बढ़ाना भी है।
कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष की आपत्तियों के बावजूद, सरकार ने इस सप्ताह लोकसभा में कई विधेयक पारित कराए हैं।
सदन में शुक्रवार को आधे घंटे में तीन विधेयकों को मंजूरी मिल गई। वहीं, विपक्ष ने कहा कि जब सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदन में स्वीकार कर लिया गया है, तो नीतिगत मामलों से संबंधित कार्य नहीं किया जा सकता है।
विपक्ष ने आज विधेयकों के पारित होने को “अवैध” और “संविधान के साथ धोखाधड़ी” करार दिया।