Friday, December 20, 2024

काकोरी कांड नहीं काकोरी कदम कहें :-  स्वामी भारत भूषण

सहारनपुर। आज पं राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह व राजेंद्र लाहिड़ी के बलिदान दिवस पर मोक्षायतन योग संस्थान, नेशन बिल्डर्स एकेडमी और राष्ट्र वंदना मिशन ने  सामूहिक रूप से काकोरी कांड के शहीदों के सम्मान में श्रद्धांजलि आयोजित की गई। जिसे संबोधित करते हुए योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने अनेक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि ९ अगस्त १९२५ को घटित इस अपूर्व घटना से डरी ब्रिटिश सरकार ने इसे काकोरी कांड का नाम दिया जबकि भारत की संपूर्ण स्वाधीनता के लिए किया गया ये कार्य एक बड़े विचार और दृढ़ संकल्प से लिया गया कदम था इसे काकोरी कांड के बजाय काकोरी कदम कहना उचित होगा।

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आजादी के दीवानों के इस संगठित कदम का नतीजा ये था कि एक भी आंदोलनकारी न झुका और न ही टूटा जबकि आंदोलनकारियों को तोड़ने व आतंकित करने के लिए उन्हें अलग-अलग जेलों में रखा गया और राजेंद्र नाथ लाहिड़ी को तो फांसी की तारीख १९ दिसंबर से दो दिन पहले ही फांसी दे दी गई। योग गुरु भारत भूषण बोले कि भारत के स्वाधीनता आंदोलन की यह पहली सामूहिक फांसी थी। उन्होंने इन महान क्रांतिकारियों को योगी की संज्ञा दी और कहा कि जन्म मरण के सत्य को जानने वाले योगी ही ऐसे फांसी का फंदा चूम सकते हैं।

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उन्होंने इस काकोरी कदम के महानायक चंद्रशेखर आजाद और प्रेरणशक्ति महर्षि दयानंद सरस्वती को भी श्रद्धा से स्मरण किया और उनकी भूमिका की चर्चा करते हुए बताया कि आर्यसमाज भवन शाहजहांपुर में रहकर ही बिस्मिल और अशफाक योजना को आगे बढ़ाने के लिए आत्मबल बढ़ाते रहे। इस अवसर पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के स्वयं के लिखे गीतों को संगीत व स्वरबद्ध करके सी डी के रूप में रिलीज करने वाले राष्ट्र वंदना प्रकल्प के राष्ट्रीय संयोजक व दो बार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुलिस अधिकारी विद्यार्णव शर्मा की ओर से अति प्रेरक तराने सभी को उपलब्ध कराये गए।

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कार्यक्रम में मुख्यत: योग एसोसियन अध्यक्ष एन  के शर्मा, ललित वर्मा, योगाचार्या अनीता शर्मा, कंचन तेहरी, योगाचार्य आलोक श्रीवास्तव, ध्यान प्रमुख विजय सुखीजा, अधिष्ठाता सतीश चावला, गुलशन अरोरा, नारायण वर्मा, योगेश दुआ, पूनम वर्मा, मिथलेश शर्मा, सुरभि सेठी, अजय यादव आदि मौजूद रहे।

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