मुंबइ- रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई को लक्षित दायरे में रखने के उद्देश्य से आज लगातार छठवीं बार नीतिगत दरों में बढोतरी की जिससे घर, कार और अन्य ऋण अब और महंगे हो जायेंगे।
आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की बुधवार को समाप्त हुयी तीन दिवसीय बैठक के बाद यह घोषणा की। श्री दास ने घोषणा करते हुये कहा कि अक्टूबर 2022 के बाद दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई में तेजी से नरमी आयी है, जो विशेषकर खाद्य पदार्थाें की कीमतों के घटने से हुआ है। उन्होंने कहा कि छह सदस्यीय समिति में से चार सदस्यों ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की बढोतरी किये जाने के पक्ष में मतदान किया जबकि दो ने इसके विरोध में। इस तरह से बहुमत के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही समिति ने विकास को गति देने तथा महंगाई को लक्षित दायरे में बनाये रखने के पक्ष में ये निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि मध्यावधि में विकास को गति देते हुये खुदरा महंगाई को चार प्रतिशत के लक्षित दायरे में रखने के उद्देश्य निर्णय लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ ही डॉ. शशांक भिड़े, डॉ राजीव रंजन और डॉ. माइकल देबब्रत ने रेपो दर में बढोतरी और समायोजन की नीति को वापस लेने का पक्ष लिया जबकि डॉ. असीमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने इसके विरोध में मतदान किया।
काेरोना महामारी के बाद रिजर्व बैंक ने महंगाई को काबू में करने के उद्देश्य से लगातार छठवीं बैठक में रेपो दर में बढोतरी की है। इससे आम लोगों के लिए घर, कार और अन्य प्रकार के ऋण अब महंगें हो जायेंगे क्योंकि अब तक जितनी बार रेपो दर में बढोतरी की गयी है बैंकों ने इसका भार उपभोक्ताओं पर डाला है।
अब रेपो दर 6.25 प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गयी है, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी है। इस बढ़ोतरी के बाद स्टैंडिंग डिपोजिट फैसिलिटी दर (एसडीएफआर) 6.00 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत, बैंक दर बढ़कर 6.75 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी दर (एमएसएफआर) भी 6.75 प्रतिशत हो गयी है। रिजर्व बैंक महंगाई को काबू में करने के लिए मई 2022 में नीतिगत दरों में की गयी 0.40 प्रतिशत की बढोतरी के बाद से लगातार इसमें वृद्धि कर रहा है। मई के बाद जून, अगस्त और सितंबर में भी इन दरों में आधी-आधी फीसद की वृद्धि की गयी थी। दिसंबर में रेपो दर में 0.35 प्रतिशत की बढोतरी की गयी थी।
श्री दास ने कहा कि महंगाई का अनुमान मिश्रित है। रबी सीजन में सुधार हुआ लेकिन मौमस को लेकर अभी भी स्थितियां अनुकूल नहीं दिख रही है। वैश्विक कमोडिटी का अनुमान भू राजैनितक तनाव के कारण आपूर्ति पर पड़ने वाले प्रभावों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि भारतीय बॉस्केट में कच्चे तेल का औसत मूल्य 95 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान है। इसके आधार पर चालू वित्त वर्ष में महंगाई के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। मार्च में समाप्त होने वाली चौथी तिमाही में इसके 5.7 प्रतिशत पर रहने की संभावना है। मानसून के सामान्य रहने पर अगले वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 5.3 प्रतिशत रह सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 5.0 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में तेजी आने से ग्रामीण मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसके साथ ही कोविड आधारित प्रतिबंधों में नरमी आने से संपर्क आधारित क्षेत्रों में तेजी और शहरी उपभोग में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। घरेलू स्तर पर मांग में तेजी रहने की संभावना है जबकि वैश्विक गतिविधियों में शिथिलता के कारण विदेशी मांग में सुस्ती रह सकती है। इसके मद्देनजर अगले वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी के 6.4 प्रतिशत की गति से बढ़ने का अनुमान है जबकि चालू वित्त वर्ष में यह सात प्रतिशत रह सकती है।
उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। दूसरी तिमाही में इसके 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही में इसके 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना है।