मुजफ्फरनगर। गांव पुरबालियान में पिछले 30 वर्षों से चली आ रही चकबंदी की प्रक्रिया एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इसको लेकर शुक्रवार को दलित समाज के सैकड़ों लोगों ने भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज पहलवान और महानगर अध्यक्ष गुलबहार राव के नेतृत्व में जिलाधिकारी आवास का घेराव किया और जमकर विरोध-प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि गांव में 30 साल पहले चकबंदी के तहत भूमि आरक्षण किया गया था, जिसमें दलित आबादी के लिए 12 बीघा जमीन आरक्षित की गई थी। हालांकि कुछ प्रभावशाली लोगों ने चकबंदी की प्रक्रिया को रोकने के उद्देश्य से आपत्तियां दर्ज कराई थीं, जिन्हें चकबंदी अधिकारी ने खारिज कर दिया। इसके बावजूद चकबंदी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी और आज तक विवाद बना हुआ है।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चकबंदी न्यायालय में गुरुवार को दलित समाज से जुड़े पदाधिकारी पदम सिंह के साथ दबंगों ने बदसलूकी की, उन्हें खींचकर बाहर निकाला और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। पीड़ित जब थाने पहुंचा तो पुलिस ने भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
पदम सिंह ने मीडिया को बताया कि चकबंदी न्यायालय के बाहर लगभग 200 से 250 लोगों के सामने दबंगों ने उनके साथ गाली-गलौज और जातीय अपमान किया। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और चकबंदी प्रक्रिया को निष्पक्ष रूप से पूर्ण कराया जाए।
प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी उमेश मिश्रा से तत्काल हस्तक्षेप कर चकबंदी प्रक्रिया को पूरी कराए जाने और दलित समाज को न्याय दिलाए जाने की मांग की। साथ ही पीड़ित के साथ हुई बदसलूकी की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई।