Friday, November 22, 2024

यादवलैंड में चार दशक से कांग्रेस को जीत की तलाश, बीजेपी भी कर रही है खुद को मजबूत

इटावा- ‘यादव लैंड’ के रूप में पहचान रखने वाले पश्विमी उत्तर प्रदेश के इटावा,मैनपुरी,कन्नौज,एटा, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद एक जमाने में कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करते थे लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इन क्षेत्रों में देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के दुर्दिन शुरु हो गये जिससे पार्टी आज तक उबर नहीं सकी है।

कांग्रेस के बाद लंबे समय से इन संसदीय क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी (सपा) का सिक्का चला जिस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सेंधमारी एक हद तक सफल रही है जबकि बदले हुए हालात में कांग्रेस चार दशकों में इन सीटों पर जीत के लिए तरस रही है।

ऐसे में इंडिया गठबंधन वाकई में कितना प्रभावी हो पायेगा यह सवाल अब खड़े होना शुरू हो गए है।

चुनाव आयोग के आंकड़े ऐसा बताते है कि 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजी लहर के बाद इटावा से काग्रेंस के चौधरी रधुराज सिंह को 1984 मे विजय मिली थी। इंदिरा लहर का असर यह हुआ कि काग्रेंस के चौधरी रधुराज सिंह को एक लाख 84 हजार चार को चार मत मिले जब की उनके करीबी प्रतिदंदी लोकदल के धनीराम वर्मा को 161336 मत मिले । इस तरह से चौधरी रधुराज सिंह 23068 मतो से विजयी घोषित किये गये।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद यह एक ऐसा चुनाव था जिसमे काग्रेंस को विजय मिली लेकिन उसके बाद काग्रेंस आज तक जीत के लिए तरस रही है। सबसे हैरत की बात यह है कि इस चुनाव के बाद समाजवादी गढ़ में काग्रेंस का जनाधार धरासाई होता चला गया।

अगर इंदिरा लहर की बात करे तो इटावा के आसपास कन्नौज सीट से काग्रेस से शीला दीक्षित,फर्रूखाबाद से खुर्शीद आलम खान,मैनपुरी से बलराम सिंह यादव,जलेसर से कैलाश यादव,फिरोजाबाद से गंगाराम और एटा से लोकदल के महफूज अली को जीत मिली थी।

1984 मे समाजवादी पार्टी की जड़े इतनी मजबूत थी कि एटा मे कांग्रेस के मुशीर खां मुलायम के सिपहसालार लोकदल के महमूद अली से चित हो गये। इंदिरा लहर मे समाजवादी गढ मे काबिज हुई काग्रेंस मंडल चमत्कार मे बुरी तरह से ध्वस्त हो गई। 1989 के चुनाव मे मंडल लहर चरम पर हो चुकी थी ऐसे मे इटावा संसदीय चुनाव मे जनता दल से राम सिंह शाक्य 214264 ने कांग्रेस के सत्यनारायण दुबे 171249 को पराजित करने मे कामयाबी पाई। कुछ ऐसा ही कन्नौज की सीट पर हुआ जहा पर काग्रेंस की शीला दीक्षित को जद के छोटे सिंह यादव ने पराजित कर दिया। छोटे सिंह ने 220840 और शीला को 167007 मत मिले।

फर्रूखाबाद मे जनता दल के संतोष भारतीय 165452 ने काग्रेंस के सलमान खुर्शीद 157968 को हराया। मैनपुरी मे मुलायम सिंह यादव के गुरू और जनता दल के प्रत्याशी उदय प्रताप सिंह 239660 ने कांग्रेस के कैलाश चंद्र यादव 155369 को पराजित किया। जलेसर मे जनता दल के मुलतान सिंह 221590 ने काग्रेंस के कैलाश यादव 123694 को पराजित किया।

फिरोजाबाद से रामजी लाल सुमन 283774 ने काग्रेंस के गंगाराम 110948 को पराजित किया लेकिन मंडल लहर का असर एटा जैसी सीट पर नही दिखा क्यो कि यहा से भाजपा के महादीपक सिंह शाक्य 143442 ने काग्रेंस के सलीम शेरवानी 135969 को हराया यहा पर जनता दल का तीसरे नंबर पर रहा है।

वर्ष 1991 मे राममंदिर लहर के तौर पर सब जानते है। इस दौर मे हुए संसदीय चुनाव मे मुलायम सिंह यादव इटावा संसदीय चुनाव मे बसपा के कांशीराम को चुनाव मैदान मे उतरवा करके सहयोग किया परिणाम स्वरूप कांशीराम 141290 की जीत हुई लेकिन मुलायम सिंह यादव के दल जनता पार्टी के प्रत्याशी रामसिंह शाक्य 82624 तीसरे नंबर पर जा पहुंचे लेकिन काग्रेंस के श्री शंकर तिवारी 74149 पर चौथे नंबर पर सिमट गये।

कन्नौज मे भी काग्रेंस के प्रत्याशी चंद्र भूषण सिंह को 68480 मत ही मिले लेकिन जनता पार्टी के छोटे सिंह 17594 मत पा कर विजई हुये। मैनपुरी मे काग्रेंस के कैलाश चंद्र यादव को 93159 वोट मिले लेकिन जीत हुई जनता पार्टी के उदयप्रताप सिंह 126463 को मिली। फिरोजाबाद मे काग्रेंस के आजाद कुमार कर्दम 66183 वोट ही पा सके। एटा मे भी काग्रेंस के कैलाश यादव 56939 वोट मिले लेकिन जलेसर सीट से तो काग्रेंस अपना उम्मीदवार ही खडा करने की हिम्मत नही दिखा सकी। काग्रेंस की इज्जत बचाने का काम अगर किसी ने किया तो वो निकले फर्रूखाबाद के सलमान खुर्शीद जिन्होने जीत हासिल की अन्यथा पूरे यादव लैंड मे काग्रेंस चित ही रही है।

वर्ष 1996 के चुनाव में काग्रेंस इटावा और आसपास की सातो सीटो पर बुरी तरह से चित हुई है। इटावा संसदीय चुनाव मे काग्रेंस के नरेंद्र नाथ चतुर्वेदी आये जो 14743 मत ही पा सके,इसी तरह से कन्नौज से रामअवतार दीक्षित पर काग्रेंस ने जोर अजमाया उन्हे सिर्फ 9957 वोट मिले।

मैनपुरी से कैलाश यादव को 14993,फिरोजाबाद से गुलाब सेहरा को 5947,एटा से गिरीश चंद्र मिश्रा को 24940,जलेसर से बलराम सिंह यादव को 72917 वोट मिले अगर इस चुनाव मे कोई सही हालात मे रहा तो वो है फर्रूखाबाद के सलमान खुर्शीद जिनको 97261 लोगो का जनसर्मथन रहा है।

1998 मे तो 1996 से बुरी हालत रही काग्रेंस के प्रत्याशियो की इटावा मे काग्रेंस के सत्यप्रकाश धनगर 10875,कन्नौज से प्रतिमा चतुर्वेदी को 17144,मैनपुरी से शिवनाथ दीक्षित को 6699,जलेसर से अवधेश यादव को 7505,एटा से के.पी.सिंह को 7662, फिरोजाबाद से बच्चू सिंह को मात्र 5642 ही वोट मिले।

काग्रेंस के उम्मीदवारो को मिले वोट कही से भी नही लग रहे है कि यह देश की वजूद वाली पार्टी है इस चुनाव मे फर्रूखाबाद के सलमान खर्शीद ने जरूर 180531 वोट पा कर काग्रेंस की इज्जत को बचाया।

1999 मे इटावा से सरिता भदौरिया को चुनाव मैदान मे उतारा गया इनके पति काग्रेंस महासचिव अभयवीर सिंह भदौरिया की हत्या कर दी थी परिणाम स्वरूप चुनाव मैदान मे उतरने पर कुछ सहानुभूति मिली सरिता भदौरिया को 51868 वोट मिले। सभी राजनैतिक दलो ने इस वोट को काग्रेंस का नही सरिता भदौरिया का जनाधार माना। कन्नौज से दिग्विजय सिंह को 27082,मैनपुरी से मुंशीलाल को 15139,जलेसर से जावेद अली को 53717,एटा से राजेंद्र सिंह को 71892 वोट ही मिले फिरोजाबाद से काग्रेंस को कोई उम्मीदवार ही चुनाव मैदान मे उतरने के लिए नही मिला। फर्रूखाबाद से सलमान खुर्शीद ने अपनी बीबी लुईस खुर्शीद को चुनाव मैदान मे उतारा जहा से उनको 155601 वोट मिले।

2004 मे इटावा मे काग्रेंस से राजेंद्र प्रसाद जिनको कोई जानता पहचानता नही था को चुनाव मैदान मे उतारा गया राजेंद्र प्रसाद अपनी ओर कोंग्रेसियो को तमाम मेहनत मशक्कत के बाद 9482 वोट ही पा सके। इसी तरह से कन्नौज से विनय शुक्ला को 10501,मैनपुरी से राजेंद्र जादौन को 9897,एटा से रविन्द्र को 22442,फिरोजाबाद को 28105,जलेसर से शिवराज सिंह को 12735 वोट ही मिले लेकिन पहले की ही तरह फर्रूखाबाद से लुईस खुर्शीद को 177380 वोट मिले।

2009 मे इटावा से काग्रेंस को कोई उम्मीदवार नही मिला क्यो कि काग्रेंस हाईकमान ने महानदल से गठबंधन करने के बाद रिटार्यड आयकर अधिकारी शिवराम दोहरे को चुनाव मैदान मे उतारा जिनको किसी भी काग्रेंसी ने सहयोग नही किया परिणाम स्वरूप काग्रेंस रूपी महानदल को मात्र 5824 वोट ही मिल पाये। नेता जी मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के निर्वाचन क्षेत्र मैनपुरी और कन्नौज से कोई उम्मीदवार नही काग्रेंस को चुनाव मैदान मे उतरने के लिए नही मिला। फिरोजाबाद से राजेंद्र पाल को 6340,एटा से महादीपक शाक्य को 25037 मत मिले है।

2014 के बाद से बदली हुई सूरत में भाजपा का भगवा ने यादव लैंड में सेंधमारी शुरू कर दी। फिरोजाबाद,मैनपुरी और कन्नौज सीटे समाजवादी पार्टी के कब्जे में आई तो एटा,इटावा ओर फर्रुखाबाद इन सीटों पर भाजपा का भगवा फहरा रहा हो लेकिन 2019 के संसदीय चुनाव में फिरोजाबाद और कन्नौज की सीटे भी भारतीय जनता पार्टी के कब्जे पर आ गई। केवल मैनपुरी सीट ही समाजवादी पार्टी की इज्जत बचा सकी।

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