नई दिल्ली। कांग्रेस ने रविवार को रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग की और कहा कि ओडिशा ट्रेन त्रासदी पूरी तरह से लापरवाही, सिस्टम में गंभीर चूक, अक्षमता, एक संकीर्ण भावना के कारण हुई तबाही है। मोदी सरकार के ‘सब कुछ जानते हैं’ वाले रवैये को उच्च डेसिबल पीआर के साथ जोड़ा गया है, जिसने रेलवे प्रशासन के हर स्तर पर खोखलेपन को उजागर किया है। यहां पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा और शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, “देश की सबसे भयावह ट्रेन दुर्घटना के बाद भारत गहरे सदमे में है। ओडिशा की तिहरी रेल त्रासदी में लगभग तीन सौ कीमती जान चली गईं, 1000 से अधिक घायल हो गए।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट करती है।
खेड़ा ने कहा, “एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के रूप में हम पीड़ितों की हर संभव सहायता कर रहे हैं। दुर्घटना की रात हमारे नेता वहां गए। हमारे फ्रंटल संगठन पीड़ितों की हर संभव सहायता कर रहे हैं। हमारी राज्य सरकारों ने भी आवश्यक सहायता दी है।”
कांग्रेस नेता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “यह एक प्राकृतिक आपदा नहीं है। यह मानव निर्मित तबाही है, जो पूरी तरह से लापरवाही, सिस्टम में गंभीर चूक, अक्षमता और मोदी के रवैये के कारण सब कुछ जानने की गलतफहमी है। सरकार सिर्फ उच्च डेसिबल पीआर के भरोसे है, यही वजह है कि इस हादसे ने रेलवे प्रशासन के हर स्तर पर खोखलेपन को उजागर किया है।”
दोषियों को सजा दिलाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा पर निशाना साधते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शुरुआत तो सबसे पहले उनके रेलमंत्री से होनी चाहिए।
खेड़ा ने पार्टी क रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, “स्पष्ट रूप से हम रेलमंत्री वैष्णव के इस्तीफे की मांग करते हैं। इससे कम कुछ नहीं।”
उन्होंने रेलवे और सीएजी की कई रिपोर्टो का हवाला देते हुए कहा कि कांग्रेस के पास मोदी सरकार द्वारा जवाबदेही की मांग करने के कई ठोस कारण हैं।
कांग्रेस नेता ने सरकार पर ‘सिग्नलिंग सिस्टम’ में खामियों की कई चेतावनियों को नजरअंदाज किए जाने जाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “इसी साल 9 फरवरी को दक्षिण-पश्चिम रेलवे जोन के प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने एक एक्सप्रेस ट्रेन के सिग्नल फेल होने पर चिंता जताई थी। घटना बिरुर-चिकजाजुर सेक्शन के होसदुर्गा रोड स्टेशन पर हुई थी। रेलवे के मैसूर डिवीजन में इस साल 8 फरवरी को ट्रेन संख्या 12649 संपर्क क्रांति एक्सप्रेस की एक मालगाड़ी के साथ आमने-सामने की टक्कर होते-होते बची थी।”
खेड़ा ने रिपोर्ट दिखाते हुए कहा कि इस घटना से संकेत मिलता है कि इंटरलॉकिंग सिस्टम में गंभीर खामियां हैं।
उन्होंने कहा कि प्रिंसिपल चीफ ऑपरेटिंग मैनेजर ने भी चेतावनी दी थी कि अगर सिग्नल मेंटेनेंस सिस्टम की निगरानी नहीं की गई और इसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे दुबारा गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
शुक्रवार की बालासोर दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “प्रारंभिक जांच दल, जिसमें ज्यादातर सीनियर सेक्शन इंजीनियर शामिल थे, ने पाया कि 12841 शालीमार-डॉ. एमजीआर चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस को अप मेन लाइन से गुजरने के लिए हरी झंडी दी गई थी, लेकिन तुरंत सिग्नल लाल हो गया। इस ‘फ्लिप-फ्लॉप’ सिग्नलिंग के कारण भारी तबाही हुई।”
इस बीच, गोहिल ने हवाला दिया कि कैसे संसदीय स्थायी समिति ने सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने के लिए रेलवे बोर्ड को फटकार लगाई।
उन्होंने कहा कि परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड द्वारा दिखाई गई ‘उदासीनता’ के लिए रेलवे को फटकार लगाई थी।
उन्होंने कहा, “सीआरएस नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है। स्थायी समिति ने प्रस्ताव दिया कि सीआरएस रेलवे और नागरिक उड्डयन मंत्रालयों से अलग एक स्वायत्त निकाय होना चाहिए।”