कोलकाता। भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) के विशाल विपक्षी मंच के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस के साथ समझौते के मुद्दे पर कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई में गंभीर मतभेद सामने आने लगे हैं।
पश्चिम बंगाल प्रदेश पार्टी अध्यक्ष और पांच बार के लोकसभा सदस्य अधीर रंजन चौधरी की एक टिप्पणी पर मतभेद सामने आये हैं, जो खुद अपनी पार्टी के तृणमूल कांग्रेस के साथ समझौते के खिलाफ मुखर आवाजों में से एक हैं।
चौधरी ने कहा, “अगर भारत एक ‘नदी’ की तरह है, तो पश्चिम बंगाल एक ‘तालाब’ की तरह। इसलिए वर्तमान स्थिति में हम तालाब की बजाय उस नदी पर अधिक जोर देने के लिए मजबूर हैं।”
प्रतिक्रिया में, राज्य कांग्रेस नेता और कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील कौस्तव बागची ने एक सोशल मीडिया पोस्ट जारी कर अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का “नदी” और “तालाब” के संदर्भ में उपहास उड़ाया।
बागची ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, “मुझे नदी और तालाब की अवधारणा समझ में नहीं आती। मैं बस इतना समझ सकता हूं कि नई दिल्ली के हित में राज्य कांग्रेस को गिनी पिग के रूप में नहीं देखा जा सकता है। हमारे लिए तृणमूल कांग्रेस चोरों की पार्टी बनी रहेगी। हमारे लिए तृणमूल कांग्रेस वह राजनीतिक ताकत बनी रहेगी जो पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या के लिए जिम्मेदार है।”
पहले से ही जमीनी स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष की सुगबुगाहट का सामना कर रहे माकपा केंद्रीय समिति ने घोषणा की है कि इंडिया-गठबंधन की अवधारणा पश्चिम बंगाल के संदर्भ में पार्टी के लिए लागू नहीं होगी। अब देखना यह है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी नेतृत्व के बीच बढ़ती खींचतान को देखते हुए क्या कांग्रेस आलाकमान भी इस संबंध में ऐसी ही कोई घोषणा करता है।
इससे पहले भी बागची कई बार तृणमूल कांग्रेस की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता और पी.चिदंबरम और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे हाई-प्रोफाइल अधिवक्ताओं के खिलाफ मुखर रहे थे।