Tuesday, June 25, 2024

दिल्ली की अदालत ने सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन को 14 दिन की ईडी हिरासत में भेजा

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए 10 जुलाई तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया।

जांच एजेंसी द्वारा अरोड़ा की 14 दिन की हिरासत की मांग करते हुए एक आवेदन दायर करने पर राउज एवेन्यू कोर्ट के ड्यूटी सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने उसके अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

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एजेंसी ने कहा कि मामले में बड़ी साजिश का खुलासा करने के लिए आरोपी से पूछताछ जरूरी है।

ईडी ने हाल ही में अरोड़ा की 40 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद मंगलवार को अरोड़ा को गिरफ्तार किया।

सूत्रों ने बताया कि अरोड़ा को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था।

ईडी सूत्र ने कहा था, “वह लगातार तीन दिनों से ईडी के मुख्यालय आ रहे थे। अंततः मंगलवार को हमने उन्‍हें गिरफ़्तार कर लिया।”

संघीय एजेंसी की ओर से पेश होते हुए विशेष लोक अभियोजक एनके मट्टा ने अदालत को अवगत कराया कि कंपनी और उसके निदेशकों ने रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के बदले संभावित खरीदारों से अग्रिम धनराशि एकत्र करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश रची थी।

उन्होंने कहा कि कंपनी समय पर फ्लैटों का कब्जा उपलब्ध कराने के सहमत दायित्व का पालन करने में विफल रही और आम जनता को धोखा दिया।

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई प्राथमिकियों से उपजा है।

सूत्रों ने बताया कि रियल एस्टेट कारोबार से जुटाए गए पैसे को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए कई कंपनियों में निवेश किया गया।

यह आरोप लगाया गया है कि घर खरीदारों से पैसा एकत्र किया गया और बाद में अन्य व्यवसायों में शामिल फर्मों के कई खातों में स्थानांतरित कर दिया गया।

सूत्र ने कहा, ”इस तरह, घर खरीदारों को धोखा दिया गया।”

अरोड़ा संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके, जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी हुई।

एक महीने पहले ग्रेटर नोएडा के दादरी प्रशासन ने अरोड़ा और सुपरटेक के खिलाफ नोटिस जारी कर कुल 37 करोड़ रुपये चुकाने को कहा था। नोटिस दिए जाने के बाद अरोड़ा को स्थानीय डीएम कार्यालय में हिरासत में लिया गया, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया।

सूत्रों ने बताया कि अरोड़ा और सुपरटेक के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। उन्होंने बैंकों से भी ऋण लिया और उनके खाते कथित तौर पर गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में बदल गए।

 

 

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