अखलाक मॉब लिंचिंग केस: फास्ट-ट्रैक अदालत ने अभियोजन की केस वापसी अर्जी को किया खारिज
नोएडा। अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में केस वापस लेने के मामले में आज सुनवाई हुई। मामले में अदालत ने अभियोजन की ओर से केस वापसी की लगाई गई याचिका को अदालत ने निरस्त कर दिया।
जानकारी के अनुसार अखलाक मॉब लिंचिंग में केस वापस लेने के मामले में आज सुनवाई के दौरान फास्ट-ट्रैक अदालत (एफटीसी) ने अभियोजन पक्ष की ओर से केस वापसी की अर्जी को महत्वहीन और आधारहीन मानते हुए निरस्त कर दिया।
इस मामले में अभियोजन की ओर से ओर से लगाई गई अर्जी के लिए मंगलवार की तारीख दी थी। अदालत ने दोनों पक्षों को सुना। साथ ही अदालत ने कहा कि मामले में अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी। साथ ही मामले में अदालत ने प्रतिदिन सुनवाई की बात कही है। इस दौरान अभियोजन को आगे गवाहों के बयान दर्ज करने के निर्देश दिए गए। साथ ही पुलिस आयुक्त और डीसीपी ग्रेटर नोएडा को निर्देशित किया कि अगर गवाहों को सुरक्षा की आवश्यकता है तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।
वहीं अखलाक के परिवार के अधिवक्ता युसूफ सैफी और अंदलीब नकवी ने बताया कि अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से लगाई गई याचिका को निरस्त कर दिया है। अगली सुनवाई के लिए 6 जनवरी का वक्त दिया है। अदालत में सुनवाई के दौरान सीपीआईएम नेता वृंदा करात ने बताया कि सरकार की ओर से लगाई गई अर्जी आधारहीन थी। अदालत ने भी इसको सही मना। हम पीड़ित परिवार के साथ आगे भी खड़े रहेंगे।
बता दें कि 28 सितंबर 2015 की रात को थाना जारचा क्षेत्र के गांव बिसाहड़ा में गोमांस के सेवन की अफवाह फैलने के बाद भीड़ ने एक घर पर हमला कर दिया था। इस दौरान गांव निवासी अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। जबकि उसका बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हुआ था। इस घटना ने पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर दिया था और बिसाहड़ा गांव सुर्खियों में आ गया था। मामले में अखलाख की पत्नी इकरामन ने दस लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना में चश्मदीद गवाहों में पत्नी इकरामन, मां असगरी, पुत्री शाहिस्ता और पुत्र दानिश के बयान दर्ज हुए थे। शुरुआती बयानों में 10 आरोपियों का नाम आया था, लेकिन बाद के बयानों में गवाहों ने अन्य 16 नाम और जोड़े। पुलिस ने घटनास्थल से मांस के टुकड़े बरामद कर मथुरा की फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजे थे।
