कर्नाटक के विजयपुरा में 3.1 तीव्रता का भूकंप, लगातार झटकों से बढ़ी स्थानीय चिंता
                 
              
                विजयपुरा। कर्नाटक के विजयपुरा में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने जानकारी दी कि भूकंप विजयपुरा में सतह से 5 किलोमीटर गहराई में था। भूकंप की तीव्रता 3.1 मापी गई है। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने जानकारी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "मंगलवार सुबह 7.49 बजे कर्नाटक के विजयपुरा में 3.1 तीव्रता का भूकंप आया।
इसकी गहराई 5 किलोमीटर थी।" विजयपुरा जिले में लगातार भूकंपों के कारण लोगों की नींद उड़ी हुई है। पिछले दो महीनों में 12 बार झटके महसूस किए जा चुके हैं। फिलहाल, इस भूकंप से कर्नाटक के विजयपुरा में किसी तरह के नुकसान की जानकारी नहीं है। कर्नाटक के विजयपुरा जिले में लगातार आने वाले भूकंपों ने स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ा दी है। बीते दो महीनों में यहां 10 से भी अधिक भूकंपीय हलचलें दर्ज की गई हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, इन झटकों की तीव्रता भले ही मध्यम स्तर की है, लेकिन इनकी आवृत्ति बढ़ने से खतरे की आशंका भी बढ़ जाती है। फिलहाल नुकसान या जनहानि की कोई सूचना नहीं है, फिर भी लोग दहशत में हैं। प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि विजयपुरा का यह क्षेत्र सामान्य रूप से भूकंपीय रूप से सक्रिय नहीं माना जाता। इसके बावजूद लगातार झटके महसूस होना वैज्ञानिकों और प्रशासन, दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया है। विशेषज्ञ जांच कर रहे हैं ताकि भूकंपों के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जो बिना किसी पूर्व चेतावनी के घटित होती है। इसमें पृथ्वी की सतह का भयंकर रूप से हिलना शामिल है। जब धरती के नीचे की टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं या एक-दूसरे से दूर जाती हैं, तो भूकंप आता है। यह हलचल पृथ्वी की ऊपरी सतह पर होती है। देश के वर्तमान भूकंपीय क्षेत्र मानचित्र के अनुसार, भारत की भूमि का 59 प्रतिशत हिस्सा सामान्य से गंभीर भूकंपीय खतरों की चेतावनी के अधीन है। भारत की बढ़ती आबादी और इसमें व्यापक रूप से लगातार बढ़ रहे अवैज्ञानिक निर्माण, जिनमें बहु-मंजिला अपार्टमेंट, बड़े कारखानों की बिल्डिंग, बड़े-बड़े मॉल, सुपर मार्केट के साथ-साथ मालगोदाम (वेयरहाउस) व ईंट-पत्थर से बनी इमारतें शामिल हैं, जो भारत को उच्च जोखिम में रखते हैं। 
