मुंबई बंधक कांड: रोहित आर्या एनकाउंटर की मजिस्ट्रियल जांच शुरू; क्राइम ब्रांच ने एपीआई समेत 7 के बयान दर्ज किए
                 
              
                मुंबई। पवई इलाके के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों को बंधक बनाने वाले संदिग्ध रोहित आर्या की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत के मामले में अब स्वतंत्र मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के तहत अनिवार्य रूप से की जा रही है ताकि मुठभेड़ की परिस्थितियों और पुलिस की कार्रवाई की न्यायसंगतता का पता लगाया जा सके।
मजिस्ट्रियल जांच और हाईकोर्ट में याचिका
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी ने सोमवार को पुष्टि की कि मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है। संबंधित मजिस्ट्रेट जल्द ही गवाहों को समन जारी करेंगे, उनके बयान दर्ज करेंगे और पूरी घटना पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे।
इधर, बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है, जिसमें पुलिस कार्रवाई को 'फर्जी मुठभेड़' बताते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने राजनीतिक नेता के इशारे पर आत्मरक्षा के बहाने आर्या की हत्या की।
क्राइम ब्रांच ने 7 लोगों के बयान दर्ज किए
घटना की जाँच कर रही मुंबई क्राइम ब्रांच ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। पुलिस ने अब तक सात लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिनमें मुठभेड़ को अंजाम देने वाले अधिकारी, एपीआई अमोल वाघमारे, पवई पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक जीतेन्द्र सोनवणे, स्टूडियो मालिक मनीष अग्रवाल और बंधक बने कुछ बच्चों के माता-पिता शामिल हैं।
क्राइम ब्रांच के अनुसार, घटना वाले दिन नांदेड़, कोल्हापुर, साकीनाका, बोरीवली और नवी मुंबई के कुल 17 बच्चे शूटिंग में शामिल थे।
जांच का केंद्र-बिंदु: डिजिटल और मानसिक स्वास्थ्य
जाँच का एक अहम हिस्सा रोहित आर्या के डिजिटल डेटा की पड़ताल है। पुलिस ने उसका मोबाइल जब्त कर लिया है और यह जांच की जा रही है कि क्या उसने गूगल पर 'बंधक' या बंधकों से जुड़ी कोई खोज की थी। पुलिस उसके कई बैंक खातों के लेन-देन की भी जांच कर रही है।
आर्या की मेडिकल और मानसिक स्थिति भी जांच के दायरे में है। हालाँकि, पुलिस ने स्पष्ट किया है कि अभी तक किसी भी गवाह ने यह दावा नहीं किया है कि वह मानसिक रूप से अस्थिर था। आर्या की पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक होने के बाद उनका बयान भी दर्ज किया जाएगा।
क्या था विवाद?
रोहित आर्या की मौत के पीछे उसका वर्षों पुराना विवाद सामने आया है। उसका दावा था कि महाराष्ट्र सरकार की 'माझी शाळा, सुंदर शाळा' योजना का कॉन्सेप्ट उसी ने तैयार किया था, जिसका क्रेडिट और भुगतान सरकार ने उसे नहीं दिया। इस दो करोड़ रुपये के बकाया को लेकर वह मानसिक तनाव से जूझ रहा था।
पुलिस के अनुसार, 30 अक्टूबर को उसने ऑडिशन के बहाने बच्चों को स्टूडियो में बुलाया और एयर गन तथा केमिकल के साथ उन्हें बंधक बना लिया था। लगभग 4 घंटे चले हाई-वोल्टेज ड्रामा के बाद पुलिस ने बाथरूम की खिड़की तोड़कर प्रवेश किया। पुलिस का कहना है कि आर्या ने एयर गन से फायर किया, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उसे गोली लगी और उसकी मौत हो गई।
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