अलीगढ में गरीब बच्चों के स्कूल पर चला बुलडोजर, फूट-फूटकर रोने लगे बच्चे- प्लीज सर, हमारा स्कूल मत तोड़िए !
                 
              
                अलीगढ़। अलीगढ़ विकास प्राधिकरण (ADA) द्वारा बरौला इलाके में सरकारी जमीन पर बनी अवैध बस्ती पर की गई बुलडोजर कार्रवाई के दौरान एक अत्यंत भावनात्मक दृश्य सामने आया। एक अस्थाई स्कूल पर बुलडोजर चलता देख वहाँ पढ़ने वाले गरीब बच्चे फूट-फूटकर रोने लगे, जिन्हें देखकर उनकी टीचर भी भावुक हो गईं। बच्चों के स्कूल के प्रति लगाव को देखकर एडीए अधिकारियों का दिल पसीज गया और उन्होंने कार्रवाई रोक दी।
स्कूल टूटता देख रोने लगे बच्चे
यह घटना 31 अक्टूबर की है, जिसका वीडियो रविवार को सामने आया। बन्नादेवी थाना क्षेत्र के बरौला स्थित एलमपुर आवासीय योजना के पास सरकारी जमीन पर अवैध रूप से वर्षों से झुग्गी-झोपड़ियाँ और पक्के मकान बनाकर लोग रह रहे थे। एडीए ने बार-बार नोटिस देने के बावजूद जमीन खाली न होने पर कार्यकारी अभियंता आर.के. सिंह के नेतृत्व में बुलडोजर अभियान चलाया। इस दौरान लगभग 10 हजार वर्गमीटर भूमि को कब्जामुक्त कराया गया और करीब 80 झुग्गियों को ध्वस्त किया गया।
कार्रवाई के दौरान अवैध बस्ती में 'पहला कदम स्कूल' भी कार्रवाई की जद में आ गया, जिसे अगस्त 2025 में साहिबा फाउंडेशन की ओर से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के लिए खोला गया था।
जैसे ही बुलडोजर स्कूल की ओर बढ़ा, बच्चे और उनकी टीचर गरिमा वार्ष्णेय फूट-फूटकर रोने लगे। बच्चे अधिकारियों से विनती करते हुए कह रहे थे, "प्लीज सर, हमारा स्कूल मत तोड़िए।"
एडीए अधिकारियों ने दिखाई संवेदनशीलता
बच्चों के आँसू और शिक्षा के प्रति उनके लगाव को देखकर एडीए के अधिकारी भावुक हो गए। उन्होंने तुरंत बुलडोजर कार्रवाई को रोक दिया।
एडीए की सचिव दीपाली भार्गव ने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान बच्चों का एक छोटा स्कूल बीच में आ गया था। बच्चों के भविष्य और शिक्षा को ध्यान में रखते हुए, उस हिस्से को अस्थायी रूप से छोड़ दिया गया है। अधिकारियों ने शिक्षिका गरिमा वार्ष्णेय को स्कूल का शैक्षणिक सामान सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए दो दिन का समय दिया है।
सरकारी स्कूल की अफवाह को नकारा
मामले ने तूल पकड़ा तो बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) डॉ. राकेश सिंह ने भी मौके पर जाकर जांच की। उन्होंने स्पष्ट किया कि मौके पर कोई सरकारी स्कूल नहीं था। यह केवल अवैध कब्जा करके चलाई जा रही क्लास थी, जिसमें बस्ती के ही दो-तीन बच्चे पढ़ते थे। उन्होंने सरकारी स्कूल तोड़ने की अफवाहों को निराधार बताया।
दीपाली भार्गव ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि तय समय के अंदर स्कूल दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया गया, तो शेष जमीन को मुक्त कराने के लिए वहाँ भी कार्रवाई की जाएगी।
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