हरियाणा की सियासत में भूचाल: छह बार विधायक रहे प्रो. संपत सिंह ने दूसरी बार छोड़ी कांग्रेस, खरगे को भेजा कड़ा इस्तीफा पत्र
Haryana Political: हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष, मंत्री और छह बार विधायक रह चुके प्रोफेसर संपत सिंह ने रविवार को कांग्रेस पार्टी को दूसरी बार अलविदा कह दिया। हरियाणा कांग्रेस के नए अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह के लगभग सवा माह के कार्यकाल में यह पहला बड़ा इस्तीफा है, जिसने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। संपत सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे विस्तृत पत्र में पार्टी की कमजोरियों, अंदरूनी खींचतान और नेतृत्व की कार्यशैली पर गहरे सवाल उठाए।
त्यागपत्र में कांग्रेस नेतृत्व पर कटाक्ष
2019 में भाजपा जाने और फिर कांग्रेस वापसी की कहानी
साल 2019 में संपत सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, किंतु वहां भी वे ज्यादा दिनों तक सहज महसूस नहीं कर सके। 2024 के विधानसभा चुनाव में नलवा सीट से उनका टिकट काटकर अनिल मान को उम्मीदवार बनाया गया, जिसके बाद भाजपा के रणधीर पनिहार चुनाव जीते। बागी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने के बाद भी पार्टी ने उन्हें नाम वापस लेने को राज़ी किया, लेकिन इससे उनकी असंतुष्टि कम नहीं हुई।
अभय चौटाला के कार्यक्रम में शामिल होने के संकेत
पिछले दिनों रोहतक में ताऊ देवीलाल की राज्य स्तरीय जयंती पर इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला के साथ मंच साझा करने के बाद उनके कांग्रेस छोड़ने की चर्चाएं तेज हो गई थीं। अब जब इस्तीफा आधिकारिक हो चुका है, तो राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि वे इनेलो में वापसी कर सकते हैं। अभय चौटाला पहले ही संकेत दे चुके थे कि जल्द एक बड़ा नेता पार्टी ज्वाइन करेगा।
कांग्रेस में गुटबाजी ने किया कमजोर: संपत सिंह का आरोप
अपने पत्र में प्रो. संपत सिंह ने कहा कि पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी ने कांग्रेस को मजबूत होने नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि एक विशेष नेता ने उन्हें संगठन में सक्रिय भूमिका निभाने ही नहीं दी। उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व को चेताया कि यही गुटबाजी कई बड़े नेताओं को पहले ही पार्टी से बाहर कर चुकी है।
कांग्रेस छोड़ चुके दिग्गज नेताओं की लंबी सूची
संपत सिंह ने अपने पत्र में कांग्रेस से समय-समय पर अलग हुए बड़े नेताओं के नाम सिलसिलेवार बताते हुए कहा कि पार्टी ने इन दिग्गजों को रोकने के बजाय उन्हें जाने दिया। उन्होंने तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व. भजनलाल, केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत, पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, सांसद धर्मबीर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और पूर्व सांसद अवतार भड़ाना का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज लगभग सभी भाजपा की राजनीति कर रहे हैं।
राज्यसभा चुनाव और कुमारी सैलजा के मामले पर तंज
संपत सिंह ने अपने त्यागपत्र में आरके आनंद की राज्यसभा चुनाव में हार का भी जिक्र किया और इसके लिए पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को जिम्मेदार बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुमारी सैलजा को राजनीतिक दबाव के चलते हटाया गया और दलित मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण इस नेता को लगातार नजरअंदाज किया गया। इसके विपरीत, एक नेता के बेटे को राज्यसभा टिकट दिया गया, जबकि वह पहले से सांसद थे। उन्होंने कहा कि यह सब कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ने वाला है।
योग्य नेताओं को नजरअंदाज, धनबल वालों को प्राथमिकता
संपत सिंह ने आरोप लगाया कि 2024 विधानसभा टिकट वितरण में योग्य उम्मीदवारों को हटाकर धनबल वालों को टिकट दिए गए। कई कार्यकर्ता जो पार्टी के लिए लंबे समय से सक्रिय थे, उन्हें किनारे लगाकर बाहरी चेहरों को मौका दिया गया। उन्होंने दावा किया कि राज्य नेतृत्व के करीबी लोगों ने स्वतंत्र उम्मीदवारों के रूप में कांग्रेस के खिलाफ काम किया।
वरिष्ठ नेताओं के अपमान का आरोप
पत्र में उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता कैप्टन अजय यादव और कुलदीप शर्मा का अपमान लगातार होता रहा। यह भी लिखा कि कांग्रेस धीरे-धीरे एक परिवार की जागीर बनती जा रही है, जहां प्रतिभा और अनुभव के बजाय व्यक्तिगत रिश्तों और शक्ति का प्रभाव ज्यादा हावी है।
2005 के बाद लगातार हार की तरफ ध्यान दिलाया
संपत सिंह ने लिखा कि 2005 में भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस ने 67 सीटें जीती थीं, लेकिन उसके बाद पार्टी लगातार कमजोर होती चली गई। उन्होंने कहा कि यह स्थिति संगठन की आंतरिक खींचतान और गलत फैसलों का परिणाम है, जिसे अब शीर्ष नेतृत्व भी नज़रअंदाज करता दिख रहा है।
