धर्मांतरित का शव दफनाने को लेकर हुई हिंसक झड़प के बाद गांव छावनी में हुआ तब्दील, स्थिति नियंत्रण में
कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र के बड़े तेवड़ा गांव में धर्मांतरित मृतक चमरा राम सलाम का शव दफनाने को लेकर आदिवासी और धर्मांतरित समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई । ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर कार्यपालिक दंडाधिकारी द्वारा विधिक प्रावधानों के अनुसार शव को बाहर निकालने का आदेश जारी किया गया । पंचनामा एवं पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के बाद शव काे जिले से बाहर रायपुर रवाना कर दिया गया है। आज शुक्रवार काे पूरे ईलाके काे छावनी में तब्दील कर दिया गया है, पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज, उप पुलिस महानिरीक्षक कांकेर, कलेक्टर कांकेर, पुलिस अधीक्षक कांकेर, पुलिस बल एवं कार्यपालिक दंडाधिकारी गांव में उपस्थित हैं। वर्तमान में स्थिति नियंत्रित है, मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
गाैरतलब है कि चमरा राम सलाम, निवासी ग्राम बड़े तेवड़ा, थाना आमाबेड़ा, जिला कांकेर, 70 वर्षीय पुरुष की मृत्यु 16 दिसंबर को हुई थी, मृतक का पुत्र गांव का सरपंच है। सरपंच एवं मृतक के परिजनों द्वारा मृतक का दफन संस्कार गांव में अपनी निजी भूमि पर कर दिया था। चमरा राम सलाम की मृत्यु को लेकर संदेह व्यक्त करते हुए तथा दफन प्रक्रिया के संबंध में गांव के हजाराे ग्रामीण विरोध करते हुए शव को बाहर निकालने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों द्वारा यह आरोप भी लगाए जा रहे हैं कि दफन संस्कार स्थानीय आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार नहीं किया गया। इस मुद्दे को लेकर गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। ग्रामीण आपस में आमने-सामने आ गए तथा पत्थरबाजी की घटना हुई। पुलिस कर्मियों एवं कार्यपालिक दंडाधिकारी द्वारा स्थिति को नियंत्रित करने हेतु आवश्यक कदम उठाए गए है। घटना के दौरान संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया। घटना में कई ग्रामीण, कवरेज कर रहे कुछ पत्रकार और एएसपी अंतागढ़ आशीष बंछोर समेत 20 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, इलाके में धारा 144 लागू की गई है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले कांकेर जिले में धर्म परिवर्तन की घटनाओं के बाद 14 गांवों में पास्टर और पादरियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का बोर्ड लगा दिया गया। ग्रामीणों के अनुसार यह कदम उन्होंने अपनी परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए उठाया है। इसी वजह से आदिवासी समुदाय और धर्म परिवर्तन कर चुके परिवारों के बीच दूरी बढ़ गई है। वहीं, ईसाई समुदाय के लोगों का कहना है कि उनके रिश्तेदार भी अब मिलने नहीं आ पाते, क्योंकि जिन गांवों में वे रहते हैं, वहां भी इसी तरह के बोर्ड लगे हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी इन ग्राम सभाओं के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने माना कि जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए ये बोर्ड असंवैधानिक नहीं हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति की रक्षा के लिए ग्राम सभा का एहतियाती कदम हैं।
कांकेर एसपी आईके. एलेसेला ने बताया कि वर्तमान में स्थिति नियंत्रण में है, मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं । सम्पूर्ण घटना के संबंध में आवश्यक विधिक प्रक्रिया एवं अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
