नैनीताल। देहरादून में पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्ममतापूर्वक हत्या कर 72 टुकड़े करने वाले राजेश गुलाटी की आजीवन कारावास की सजा को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बुधवार को बरकरार रखा। निचली अदालत ने राजेश गुलाटी को वर्ष 2017 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जेल में बंद अभियुक्त ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। वरिष्ठ न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खण्डपीठ में इस मामले में आज सुनवाई हुई।
अभियुक्त की ओर से कहा गया कि वह निर्दोष है और उस पर लगाए गए आरोप गलत हैं। निचली अदालत ने कई तथ्यों को नजर अंदाज किया है। युगलपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने और सभी तथ्यों को परखने के बाद निचली अदालत के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है।
उल्लेखनीय है कि अभियुक्त ने 17 अक्टूबर, 2010 को पत्नी अनुपमा गुलाटी की निर्ममतापूर्वक हत्या कर शव के 72 टुकड़े कर दिए थे। साथ ही इन टुकड़ों को डी फ्रिज में डाल दिया था।
जब 12 दिसम्बर, 2010 को अनुपमा का भाई दिल्ली से देहरादून आया तो हत्या का राज खुला। देहरादून अदालत ने राजेश गुलाटी को एक सितम्बर, 2017 को आजीवन कारावास की सजा के साथ ही 15 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
अदालत ने इसे जघन्य अपराध माना था। राजेश गुलाटी पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर रहा है और 1999 में दोनों ने प्रेम विवाह किया था।