हस्तिनापुर में विश्व हिंदू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक: स्वामी विवेकानंद महाराज ने रामराज स्थापना पर दिया जोर
मेरठ। भारत वर्ष की महाभारत कालीन नगरी हस्तिनापुर में विश्व हिंदू परिषद की प्रन्यासी मंडल बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए परम पूजनीय स्वामी विवेकानंद महाराज ने कहा कि भारत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में मानवता पर आधारित रामराज की पुनः स्थापना ही हमारा परम लक्ष्य है।उन्होंने स्पष्ट कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण केवल एक चरण है, वास्तविक उद्देश्य पूरे विश्व में रामराज की स्थापना है। संघ शताब्दी वर्ष में इसी संकल्प को लेकर प्रन्यासी मंडल बैठक प्रारंभ हुई।
विश्व हिंदू परिषद की हस्तिनापुर में आज से प्रारंभ हुई प्रन्यासी मंडल बैठक का शुभारंभ ब्रह्मनाथ, संघ प्रार्थना व भारत माता के चित्र पर दीपप्रज्वलन के बाद हुआ। बैठक को संबोधित करते हुए स्वामी विवेकानंद जी महाराज (गुरुकुल संस्थापक भोला की झाल) ने कहा कि जब-जब असुरी शक्तियां संगठित होती हैं, तब-तब देवशक्ति का एकत्र होना अनिवार्य हो जाता है। जिस प्रकार भगवान श्रीराम के वनगमन के समय राक्षसी शक्तियां संगठित हुई थीं, उसी प्रकार आज भी अधर्म का स्वरूप सामने है। ऐसे में धर्म की स्थापना के लिए वैदिक विचारधारा को मानने वालों का संगठित होना समय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हस्तिनापुर की से पांचजन्य की रणभेरी बजेगी तो असुर पुनः भयभीत होंगे।
यह पावन धरा साक्षी रही है—यहीं से धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का संदेश निकला था। आज उसी ऐतिहासिक भूमि पर देश-विदेश से आए वैदिक धर्मावलंबी एकत्र हुए हैं, जो आने वाले समय में असुरी शक्तियों के अंत का कारण बनेंगे। स्वामी विवेकानंद जी महाराज ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का स्मरण करते हुए कहा जब उन्होंने धर्म स्थापना के उद्देश्य से संघ की नींव रखी थी, तब एक विदेशी पत्रकार ने लिखा था कि “अब विश्व को खतरा उत्पन्न हो गया है”, क्योंकि वैदिक धर्म को मानने वाली शक्तियां संगठित होने लगी थीं। यह संघ का शताब्दी वर्ष चल रहा है। उन्होंने कहा कि देव शक्तियों का संगठित होना स्वाभाविक रूप से असुरों के लिए भय का कारण बनता है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि आज बालकृष्ण नहीं, बल्कि सुदर्शनधारी श्रीकृष्ण की आवश्यकता है, जो अधर्म का विनाश कर सकें। हस्तिनापुर वही धरा है, जहां से भगवान श्रीकृष्ण ने अधर्म के अंत का मार्ग प्रशस्त किया था।
स्वामी रविन्द्र कीर्ति जी ने कहा भारतीय संस्कृति में आदि काल से वैदिक परम्परा चली आ रही है जिसमे सनातन, जैन व बौद्ध इन सभी का जन्म भारत में ही हुआ है। हस्तिनापुर जैन,बौद्ध और वैदिक परम्परा के इतिहास से जुड़ा हुआ है। हस्तिनापुर में जैन परम्परा के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ ने अयोध्या से चलकर राजा श्रेयांश से प्रथम आहार ग्रहण किया। भगवान आदिनाथ ने संसार का कल्याण करने का कार्य किया आज विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता उसी कार्य को कर रहे हैं ।
विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमान बजरंग बांगड़ा जी ने कहा विश्व हिंदू परिषद के ६१ वर्षों का उपक्रम यही रहा कि सम्पूर्ण विश्व में शांति हो। असुर सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में भी थे और आज भी हैं। बस उनका स्वरूप बदल गया है, आज असुर संगठित है, हमे सुप्त अवस्था में पड़ी अपनी देवसेना (सात्विक शक्तियों ) का जागरण करना है ओर संतों के आशीर्वाद से विजयी होना है।
उन्होंने कहा परिवारों में संस्कार के अभाव में श्रद्धा का भाव कम हो रहा है, परिवारों में संस्कार बढ़े इसके लिए हमारे विभिन्न कार्यक्रम चल रहे है। विश्व की अनेकों संस्कृति समाप्त हो चुकी हैं, लेकिन सनातन अपनी कुटुंब व्यवस्था कारण आज भी टीका है। संस्कारों की कमी से कुटुंब टूट रहे हैं। इस दिशा में संगठन कार्य कर रहा है जिसका परिणाम शीघ्र मिलना शुरू हो जाएगा।उन्होंने परिवारों में संख्या बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा वामपंथी विचारधारा ने कट्टरता का चोला छोड़ उदारवाद का चोला पहन पूरे विश्व को भ्रमित किया जा रहा है। हमारा जोर है किस प्रकार भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को बचाया जा सके ।
राम मंदिर आंदोलन से लेकर प्राण प्रतिष्ठा एवं ध्वजारोहण तक समाज ने हमे अपना आशीर्वाद दिया। हमारा मथुरा काशी का विषय सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। जिस प्रकार हमने राममंदिर का लक्ष्य पूरा किया उसी प्रकार हम संतों के आशीर्वाद से मथुरा एवं काशी को प्राप्त करेंगे।
इस वर्ष वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस गीत ने आजादी की लड़ाई में अनेकों वीरो को प्रेरणा देकर स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाई है। हिंदू बहुसंख्यकों ने अल्पसंख्यकों को कभी पीड़ित नहीं किया। उस समय के अनुसार सही सोच कर उनको ये अधिकार संविधान ने दिए होंगे, लेकिन आज़ उनकी जनसंख्या 22 से 25 करोड़ हो गई है। अब अल्पसंख्यक के अधिकारो का दुरुपयोग किया जा रहा है। अब अल्पसंख्यकों की परिभाषा पुनः बदलने की आवश्यकता है।
संघ के 100 वर्षी के जागरण को कैसे बढ़ाया जाए। प्राचीन गौरव मथुरा एवं काशी पर समाज को संगठित करके निर्णय लिए जाए क्योंकि सामूहिक चर्चा सामूहिक निर्णय लेकर आगे बढ़ने की हमारी संस्कृति रही है।
संगठन के एक वर्ष के कार्यवृत्त को देते हुए अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री ने बताया इस वर्ष हमने 263467 गौ माताओं को बचाया, 21467 लोगों को अपने मूल धर्म में वापस लेकर आए, 349927 लोगों को धर्मांतरण से बचाया, 11654 युवाओं को रोजगार दिया एवं त्रिशूल दीक्षा के माध्यम से एक लाख से ज़्यादा युवाओं को जोड़ा।
उद्घाटन सत्र में मंच पर पधारे परम पूज्य संत स्वामी विवेकानंद महाराज, पूज्य संत स्वामी रविंद्र कीर्ति महाराज, केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार केंद्रीय उपाध्यक्ष श्री राम तीर्थ न्यास क्षेत्र के महामंत्री आदरणीय चंपत राय, केंद्रीय उपाध्यक्ष सुशील, केंद्रीय उपाध्यक्ष मोहन मांगनानी, डॉक्टर विजयलक्ष्मी, केंद्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंघल, केंद्रीय महामंत्री बजरंग लाल बागड़ा, केंद्रीय संगठन मंत्री मिलिंद परांडे, केंद्रीय कोषाध्यक्ष रमेश गुप्ता, मनोज अरोड़ा, मेरठ प्रांत अध्यक्ष चौधरी अमन सिंह, मेरठ प्रांत मंत्री राजकुमार मंच पर उपस्थित रहे।
