दुनिया का हर इंसान बुखार से वाकिफ है। जिंदगी में कभी न कभी सभी मनुष्यों का वास्ता इससे जरूर पड़ता है। साधारणत: बुखार का अर्थ बदन गर्म हो जाने से लगाया जाता है। हमारे शरीर का एक सामान्य तापमान होता है इसे हम सब महसूस भी करते हैं लेकिन कभी इस पर गौर नहीं करते।
एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर का तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट या 37.2 डिग्री सेल्सियस होता है। जब किसी मनुष्य का तापमान इससे ज्यादा हो जाता है तो उसे बुखार का आना कहा जाता है। जब हमारे शरीर का तापक्रम सामान्य से ज्यादा या कम हो जाता है तो हाइपोलेलेमस शरीर में ऐसी क्रिया शुरू करवाता है जिससे शरीर का तापमान सामान्य हो जाए।
बुखार आते ही दवाई क्यों न ली जाए, इससे पहले यह जानना जरूरी है कि हमें बुखार क्यों आता है।
बुखार आने के दो कारण हैं। पहला कारण है हमारे शरीर की आंतरिक क्रिया होती हैं जिनके कारण हमारे शरीर का तापमान बढ़ जाता है जैसे शरीर से पसीना बाहर न निकलना, नलिकाओं में खून का बहाव कम होना, कब्ज होना आदि। दूसरा कारण है शरीर में किसी रोग का होना या कुछ कीटाणुओं का शरीर पर आक्रमण कर देना।
शरीर में किसी रोग के होने या कीटाणुओं के शरीर पर आक्रमण कर देने से शरीर में ताप को परिवर्तित करने वाले तत्व पैदा हो जाते है और हाइपोथेलेमस में गड़बड़ी हो जाती है जिससे शरीर के तापमान को नियंत्रित करने वाले केंद्रों का क्रम बदल जाता है जिसके फलस्वरूप शरीर का तापमान बढऩे लगता है। तापमान बढऩे की इस क्रिया को ही हम बुखार कहते हैं।
अब आप सोचेंगे कि बुखार तो आ गया लेकिन दवाई लिए बगैर यह ठीक केैसे होगा। क्या आप जानते हैं पहला बुखार बिना दवाई के ही ठीक हो जाता है क्योंकि पहली बार आए बुखार को समाप्त करने की शक्ति हमारे शरीर में होती है। जब भी कोई कीटाणु शरीर में प्रवेश करता है तो हमारा प्रतिरक्षा तंत्र तुरंत सक्रिय हो जाता है और वह कीटाणुओं को नष्ट करने का प्रयत्न शुरू कर देता है ताकि वे शरीर को कोई नुक्सान न पहुंचा सकें।
कीटाणुओं के शरीर में प्रवेश करते ही शरीर में विशेष हारमोंस, इंजाइम तथा रक्त कोशिकाएं विशेषत: श्वेत रक्त कोशिकाएं तेजी से बनने लगती हैं। ये सभी मिलकर बुखार पैदा करने वाले कीटाणुओं का नाश करते हैं। कीटाणुओं का नाश होने पर धीरे-धीरे हमारे शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है इसलिए पहली बार बुखार आने पर यह बिना दवा के ही अपने आप ठीक हो जाता है पर इसके लिए आदमी का पहले से पूर्ण स्वस्थ होना आवश्यक है।
परंतु यदि बुखार बार-बार आता है तो शरीर के रक्षक तत्वों की कीटाणुओं से लड़ते-लड़ते शक्ति क्षीण हो जाती है। इसलिए बार-बार बुखार आने पर दवाई ले लेनी चाहिए। अत: बुखार की हल्की सी हरारत होने पर ही दवा नहीं गटकनी चाहिए क्योंकि ज्यादा दवाइयां भी स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
– सुमन जैन