मेरठ। मेरठ नगर निगम में न नियम मान्य और न ही काम कराया जाता, नतीजा करोड़ों रुपये का घाटा। शहर से डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने वाली कंपनी, 2415 अस्थायी कर्मचारियों का ठेका, पार्किंग या फिर होर्डिंग का ठेका हो। जिनमें कंपनी के ठेकेदारों का करोड़ों का लाभ और निगम को हानि हो रही है।
इसकी जानकारी नगर निगम अधिकारियों को भी है, लेकिन इन कंपनी से निगम के दूसरे काम कराए जाते है। शायद यही वजह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण में फिसड्डी, कर्मचारियों में नाराजगी, पार्किंग में भ्रष्टाचार, होर्डिंग में माफिया राज के आरोप बार-बार लगते हैं, जिससे निगम की छवि धूमिल हो रही है। राज्यमंत्री, सांसद, विधायक और 90 पार्षद भी निगम की बोर्ड बैठक या फिर कार्यकारिणी की बैठक में इन्हीं मुद्दों पर बहस होते है। जिसका समाधान करने में निगम के अधिकारी बेबस नजर आते हैं।
महानगर के 90 में से 73 वार्डों का डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए 5 जनवरी 2022 को नगर निगम और बीवीजी कंपनी का तीन साल के लिए अनुबंध हुआ था। शर्तें थी कि डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के एवज में लोगों से प्रत्येक घर से 80, दुकान से 30 और कॉमर्शियल भवन से 500 रुपये तक वसूली करके कंपनी निगम को पैसा देगी।