नई दिल्ली- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएएस अधिकारी संजीव हंस और राजद के पूर्व विधायक गुलाब यादव से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत मंगलवार को बिहार, दिल्ली और पुणे में कई ठिकानों पर छापेमारी की। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1997 बैच के वरिष्ठ अधिकारी हंस वर्तमान में बिहार ऊर्जा विभाग में प्रधान सचिव के पद पर हैं, जबकि गुलाब यादव 2015 से बिहार विधानसभा में झंझारपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सूत्रों ने संकेत दिया कि ये छापे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों पर केंद्रित धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मारे गए।
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव हंस के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी ने बिहार के प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में हलचल मचा दी है। इन कार्रवाइयों ने विवाद भी खड़ा कर दिया है। खासकर संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के बीच कथित करीबी संबंधों के कारण। हंस के मधुबनी, पटना और पुणे स्थित ठिकानों पर छापेमारी की गई।
1997 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी संजीव हंस वर्तमान में ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव और बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (बीएसपीएचसीएल) के सीएमडी के रूप में दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में उनके नेतृत्व में बीएसपीएचसीएल को ऊर्जा क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए प्रतिष्ठित स्कॉच गोल्ड अवार्ड मिला। उनके कार्यकाल के दौरान बिहार ने इस साल एसएएमएएसटी के सभी मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए पूर्वी राज्यों में शीर्ष स्थान भी हासिल किया है।
हालांकि, इन उपलब्धियों के बीच संजीव हंस और गुलाब यादव दोनों ही विवादों में घिर गए। ईडी के सूत्रों ने अपनी जांच के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े दस्तावेज मिलने के संकेत दिए हैं, जो संभावित अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं। संजीव हंस के खिलाफ भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न समेत कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जांच एजेंसी ने यौन उत्पीड़न से जुड़ी घटनाओं में गुलाब यादव की कथित भागीदारी की भी बात कही है।
एक महिला ने संजीव हंस और गुलाब यादव दोनों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। उसने दावा किया कि गुलाब यादव ने 2016 में महिला आयोग में सदस्यता देने की आड़ में उसका यौन शोषण करने की स्थिति में लाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। उसने आरोप लगाया कि दोनों लोगों ने वर्षों तक उसका शोषण करना जारी रखा। इसके कारण उसने 2018 में एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन गुलाब यादव ने इन आरोपों से इनकार किया है।
मामला 2021 में दानापुर की एक निचली अदालत में दर्ज होने के बाद अब उच्च न्यायालय में पहुंच गया है। इन घटनाओं ने न केवल वरिष्ठ नौकरशाह हंस की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है, बल्कि बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था के भीतर नैतिकता और जवाबदेही पर सवाल खड़ा किया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, जनता और अधिकारी इन आरोपों की सच्चाई सामने आने का इंतजार कर रहे हैं।