राघव की उम्र 8 साल है। राघव के मम्मी-पापा दोनों वर्किंग हैं। वह घर पर दादी के भरोसे रहता हे। राघव स्कूल से आते ही टीवी चलाकर बैठ जाता है। यूनिफार्म चेंज करना, लंच करना, सब कुछ टीवी के आगे होता है। रिमोट उसके हाथ में रहता है और उसकी दादी उसे अपने हाथों से खाना खिलाती है। राघव की दादी उसे बहुत प्यार और लाड़ से रखती है। खाने के एक घंटे बाद भी वह टीवी देखता है फिर उसकी दादी मुश्किल से उसे टीवी देखते -देखते ही सुला देती है क्योंकि उसे टीवी से दूर जाना पसंद नहीं है।
6 साल की अमाया को भी स्कूल से आते ही टीवी चाहिए। अमाया की मम्मी अपने 6 महीने के छोटे बेटे की देखभाल में बेहद व्यस्त रहती हैं। अमाया का ध्यान आया रखती है। अमाया स्कूल से आते ही 2 घंटे टीवी देखती है और वह आया की नहीं सुनती। अमाया की मां व्यस्त होने के कारण उसे चाह कर भी रोक नहीं पाती।
चाइल्ड साइकालोजिस्ट्स के अनुसार ‘टीवी पर जो बड़े बड़े ब्रांडस सामने नजर आते हैं, उनके पहनने से एक ऊंची पहचान बनाने का ख्याल मन में विकसित होने लगता है। बच्चे चाहे कार्टून देखें या फिल्में, उनके रोल मॉडल नेगेटिव ही हैं। बच्चे उस नेगेटिविटी को दिमाग में रख भाषा का प्रयोग करते हैं। न तो बच्चेे पार्क जाते हैं, न कोई आउटडोर गेम खेलना पसंद करते हैं। टीवी का हर दूसरा केरेक्टर षडयंत्र कर रहा है जिसेे देखकर मन में औरों के प्रति अविश्वास भी उत्पन्न होता है। घर के हर मेंबर को वे कुछ न कुछ गलत काम करते ही देखते हैं और रिश्तों में भी शक का बीज पनपना शुरू हो जाता है।
बच्चों में टीवी के सामने बैठे रहने की लत पैदा हो जाती है जिससे मोटापे के शिकार बनते हैं। बच्चों की जिंदगी में टीवी इस कदर शामिल हो गया है कि टीवी के कैरेक्टर्स उनके बेस्ट फ्रेंड बन गए हैं। उन्हें धीरे धीरे यही दुनिया असली लगने लगती है और वे इसी का हिस्सा बनना पसंद करते हैं। बच्चे अब टीवी के काल्पनिक संसार को सच मानने लगे हैं।
टीवी की दुनिया में खोए रहने के कारण ना सिर्फ बच्चों की सोच नेगेटिव बनती है बल्कि पढ़ाई से भी उनका मन हटता है। लगंातार लंबे समय तक टीवी देखते रहने से बच्चों में थकान आ जाती है और आंखों पर भी कुप्रभाव पड़ता है। अधिक टीवी देखने वाले बच्चे टीवी देखते हुए इतना थक जाते हैं कि उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती।
देर तक टीवी देखने वाले बच्चों की एकाग्रता कम हो जाती है। वे अधिक समय तक किसी विषय या समस्या पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं रख पाते। टीवी देखने में अधिक समय लगाने के कारण बच्चे परीक्षा में कम अंक प्राप्त कर पाते हैं। लंबे समय तक टीवी बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव डालता है। टीवी देखने से कम उम्र में ही कई बीमारियां जैसे डायबिटीज, मोटापा और ।दय रोग हो सकता है। इतना ही नहीं? टेलीविजन का शौक आपके स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है। ज्यादा टीवी देखने से बच्चों में चिड़चिड़ापन पैदा होता है व उन्हें जिद्दी भी बनाता है। बच्चे बदतमीज हो जाते हैं और अपने से बड़ों को पलट कर जवाब देना भी सीख लेते हैं।
टीवी के कुछ लाभ:-
आज के दौर में बच्चों को टीवी से दूर रखना संभव नहीं। आप यह भी नहीं सोच सकते कि घर में टीवी न हो और बच्चा सारा समय सिर्फ पढ़ता रहे। घर में टीवी होना भी अनिवार्य है क्योंकि टीवी देखने से बच्चों को जिंदगी में बहुत कुछ सीखने को मिलता है, क्राफ्ट वर्क सीखते हैं, दूसरे पर्यटन स्थल बिना वहां गए देख सकते हैं, विभिन्न राज्यों के भोजन, वेशभूषा की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
टीवी में प्रस्तुत शैक्षिक कार्यक्रम बच्चों के ज्ञान में सुधार लाता है। ऐसे प्रोग्राम देखने से बच्चों की सोचने की क्षमता और एकाग्रता बढ़ जाती है।
टीवी देखते समय माता पिता बच्चों के साथ बैठ सकते हैं। ऐसा करने से आपको जानकारी भी होगी कि आपका बच्चा क्या देख रहा है और आपको उनके साथ समय बिताने का भी मौका मिल जाएगा। इस दौरान टीवी पर चल रहे कार्यक्रम को उनके साथ डिस्कस करके, कुछ तर्कों द्वारा उसे सही गलत का फर्क समझा सकते हैं। आप बच्चों को यह बता सकते हैं कि असल में जो वे देख रहे हैं, वह सच्ची दुनियां का हिस्सा नहीं है।
आजकल छोटी उम्र में ही पढ़ाई का बच्चों पर बहुत तनाव है। टीवी देखने से बच्चें पर पढ़ाई का दबाव कम होता है। वह थकान कम महसूस करते हैं और सक्रिय रहते हैं।
टीवी देखने से बच्चों की सोचने और कल्पना करने की शक्ति बढ़ती है जो उन्हें और रचनात्मक बनाती है। पर उसके लिए टीवी सीमित समय में, और अच्छे प्रोग्राम ही देखें जाएं जैसे ज्योग्राफी चैनल, नेशनल चैनल, ट्रैवल चैनल्स आदि।
माता पिता टीवी देखने के कुछ नियम बनाएं:-
बच्चे कितनी देर टीवी देखें और क्या देखें, उसके नियम माता- पिता बनाएं।
बच्चों को एक दिन में 1 घंटे से ज्यादा टीवी नहीं देेखना चाहिए। इसमें टीवी के साथ-साथ मोबाइल, आइपैड, कंप्यूटर पर बिताया गया समय भी शामिल होना चाहिए। वीकेंड पर समय बढ़ा कर 2 घंटे कर सकते हैं। इस समय को लगातार 1 घंटे के बजाय आधे-आधे घंटे में 2 बार बांट सकते हैं। 3 साल से कम उम्र के बच्चों को टीवी नहीं देखना चाहिए।
बच्चों को ज्यादा से ज्यादा बिजी रखें। उन्हें किसी एक्टिविटी में शामिल करवाएं जिससे उनकी सोच भी पाजिटिव बन सके।
आपकी अनुपस्थिति में बच्चे क्या देखते हैं, इस पर आप नजर नहीं रख सकते, इसलिए कुछ आपत्तिजनक चैनल्स पर चाइल्ड लॉक लगाएं।
घर में बच्चों के लिए कहानी की किताबें पत्रिकाएं आदि ला कर रखें ताकि बच्चों का टेस्ट इसमें बढ़ सके।
बच्चों के बेडरूम में टीवी न लगाएं। कोशिश करें कि टीवी ड्राइंगरूम में लगा हो। बच्चे टीवी के एकदम नजदीक न बैठें। इससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ेगा।
माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा टीवी में क्या देख रहा है। इस पर नजर रखें कि अगर वह कार्टून भी देख रहा है, तो उसमें कुछ गलत तो नहीं दिखाया जा रहा।
– शिवांगी झाँब