Wednesday, November 27, 2024

यूपी में बिजली निगमों के निजीकरण की तैयारी, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने जताया विरोध

लखनऊ -उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन द्वारा वाराणसी एवं आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के निर्णय का विरोध करते हुये बिजली कर्मियों के संगठन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप कर इस फैसले को निरस्त करने की अपील की है।

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संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने मंगलवार को कहा कि निजीकरण के बाद आम जनता को होने वाली कठिनाईयों से अवगत कराने के लिये संघर्ष समिति व्यापक जनजागरण अभियान चलायेगी। अभियान के पहले चरण में आगामी चार दिसम्बर को वाराणसी में और 10 दिसम्बर को आगरा में जन पंचायत आयोजित की जायेगी जिनमें बड़ी संख्या में कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं के अतिरिक्त आम उपभोक्ता सम्मिलित होंगे।

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उन्होने कहा कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा घोषित पीपीपी मॉडल के आधार पर उड़ीसा की तर्ज पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि के निजीकरण का निर्णय लिया गया है जो न ही कर्मचारियों के हित में है आर न ही आम उपभोक्ताओं के हित में है।

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संघर्ष समिति ने कहा कि 25 जनवरी 2000 को मुख्यमंत्री के साथ हुए लिखित समझौते में यह लिखा है ‘‘विद्युत सुधार अन्तरण स्कीम के लागू होने से हुए उपलब्धियों का मूल्यांकन कर यदि आवश्यक हुआ तो पूर्व की स्थिति बहाल करने पर एक वर्ष बाद विचार किया जायेगा।’’

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उल्लेखनीय है कि वर्ष 2000 में विद्युत परिषद का विघटन होने के समय 77 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष का घाटा था जो अब 25 वर्ष के बाद 01 लाख 10 हजार करोड़ हो गया है। स्पष्ट है कि विघटन का प्रयोग पूरी तरह असफल रहा और 25 जनवरी 2000 के समझौते के अनुसार पूर्व की स्थिति बहाल की जानी चाहिए जबकि प्रबन्धन निजीकरण करने पर उतारू है।

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उन्होंने कहा कि अप्रैल 2018 एवं अक्टूबर 2020 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा एवं मंत्री मण्डलीय उपसमिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए समझौते में यह उल्लेख है कि ‘’उप्र में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के लिये कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी और कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उप्र में किसी भी स्थान पर काेई निजीकरण नहीं किया जायेगा।’’

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दुबे ने कहा कि निजीकरण की अब की जा रही कार्यवाही स्पष्ट तौर पर इतने उच्च स्तर पर किये गये समझौते का खुला उल्लंघन है। इसलिये संघर्ष समिति मुख्यमंत्री से अपील करती है कि व्यापक जनहित में एवं उक्त समझौतों को देखते हुए पॉवर कारपोरेशन द्वारा लिये गये निजीकरण के निर्णय को निरस्त करने की कृपा करें।

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