नई दिल्ली। सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों में भी इसकी झलक मिलती है। वहीं हिंदी का ज्ञान विभिन्न मातृभाषा वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण बंधन कारक है। यह बात केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए पाठ्यक्रमों का विस्तार करने का आह्वान किया। प्रधान का कहना है कि उपलब्ध कराए जाने वाले पाठ्यक्रम मौजूदा समय की मांग और आवश्यकताओं के अनुरूप होने चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने दिल्ली में आगरा की केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल शासी परिषद द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता के दौरान यह बातें कहीं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदी भाषा की शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक व प्रौद्योगिकी आधारित दृष्टिकोण का आह्वान किया है।
गौरतलब है कि केन्द्रीय हिन्दी शिक्षण मंडल वह संस्था है, जो केन्द्रीय हिन्दी संस्थान का संचालन करती है। धर्मेंद्र प्रधान ने इस दौरान चालू वित्त वर्ष के लिए संस्थान द्वारा चलाई जा रही तथा प्रस्तावित कार्य योजनाओं की समीक्षा भी की।
इस अवसर पर उन्होंने देश और विदेश में लोगों को हिंदी भाषा सिखाने के विभिन्न पहलुओं में शामिल होने वाले सभी केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों व अन्य संगठनों के कार्य को समेकित एवं समन्वित करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधान ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों में भी इसकी झलक मिलती है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हिंदी का ज्ञान विभिन्न मातृभाषाओं वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण बंधन कारक है। उन्होंने केंद्रीय हिंदी संस्थान से ऑनलाइन माध्यमों द्वारा विशेष रूप से गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अपने पाठ्यक्रमों का विस्तार करने का आह्वान किया, ताकि इसकी पहुंच कई गुना बढ़ सके।