Friday, May 3, 2024

किसान बिना योजना के आपाधापी में कर रहे हैं खेती, तभी हो रहा ज्यादा रासायनिक खादों व उर्वरक का प्रयोग- नरपाल सिंह मलिक

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मुजफ्फरनगर। प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से बामनहेरी सेवा केंद्र पर आज “आत्मनिर्भर किसान अभियान” कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को आत्मनिर्भरता के लिए जागरूक करना, रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों से आजादी दिलाना तथा शाश्वत यौगिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना रहा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला उधान विभाग के निरीक्षक नरपाल सिंह मलिक व विशिष्ट अतिथि के रूप में बामनहेरी के ग्राम प्रधान भ्राता ब्रहम सिंह उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में शामिल किसानो को संबोधित करते हुए जिला उधान निरीक्षक नरपाल सिंह मलिक ने कहा कि खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग नुकसानदायक है, जिसका हमारे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और हम अनेक बीमारियों से भी ग्रसित हो जाते हैं, इसलिए जैविक खेती अपनायें और अपने जीवन को सफल व सुखी बनाने में मदद करें। उन्होंने कहा कि जिस समय देश आजाद हुआ तो देश में अन्न की कमी थी, इसलिए सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों को फसल उत्पादन बढ़ाने पर काम करने को कहा, तभी अन्न का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास शुरू किए गए।

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सरकार के स्तर पर नये बीज व रासायनिक खादों के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाता रहा, लेकिन फिर इस मामले में प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। एक समय ऐसा आया उत्पादन ज्यादा हो गया और खपत कम हो गई। वर्तमान में ऐसी स्थिति है कि यदि देश में चार साल भी अन्न का उत्पादन न हो, तो भी देश में भुखमरी नहीं फैलेगी। इस सबके बीच किसानों में आपाधापी की स्थिति बन गई और एक-दूसरे की देखा-देखी रासायनिक खादों व उर्वरक का प्रयोग किया जाने लगा, जिससे धरती की उर्वरा शक्ति खत्म हो गई है। ज्यादा रासायनिक खादों व उर्वरक के प्रयोग से फसलों का उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन फसल जहरीली हो गई है।

उन्होंने कहा कि किसान योजना बनाकर खेती नहीं कर रहा और फसल चक्र नहीं अपना रहा, जिससे ज्यादा रासायनिक खादों व उर्वरक का प्रयोग करना पड रहा है। किसान यदि दस दिन के लिए खेत को खुला छोड़ दें और धूप लगने दें, तो सभी कीटाणु मर जायेंगे और अगली फसल अच्छी होगी। इसके अलावा फसल चक्र अपनायें, ताकि धरती उपजाऊ रहे और फसल अच्छी हो। उन्होंने कहा कि पशुओं को पालना भी बेहद कम कर दिया है, जिससे बाजार का मिलावटी दूध पीने को मजबूर होना पड़ रहा है और बीमारियों को न्योता दिया जा रहा है। जहां तक हो सके सब्जियों का उत्पादन भी खुद करें, जिससे बिना कीटनाशक प्रयोग किए अच्छी सब्जी खाने को मिल जाएगी। इस अवसर पर दिल्ली जोन के ग्राम विकास प्रभाग के कार्यकारिणी सदस्य बीके राजेंद्र भाईजी ने कहा कि प्राचीन काल से ही कृषि कार्य हो रहा है। कृष्णजी के समय में कृषि व गौपालन मुख्य कार्य थे, कृष्ण जी के नाम पर ही कृषि व किसान नाम पडा है। उस समय कृषि उत्पादन कार्य आर्युवेद के आधार पर होता था।

उन्होंने कहा कि मन का व अन्न का गहरा रिश्ता होता है, दोनों में भाई-बहन का संबंध है। पहले समय में विदेशी भारत में आकर हीरे जवाहरात के बदले अन्न लेकर जाते थे, जिससे भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इसके बाद विदेश के लोग यहां आकर कारोबार करने लगे और हमारे देश के लोगो को नशे की लत लगा दी और जिस कारण हम गुलाम बने। आजादी के बाद से जनसंख्या वृद्धि के साथ ही अन्न उत्पादन बढ़ाने की जरूरत पडी और फसल ज्यादा पाने के लिए रासायनिक खादों व उर्वरक का प्रयोग शुरू कर दिया गया। ऐसे में दूषित अन्न खाना शुरू किया, तो मन भी दूषित हो गया और बीमारियों को न्योता दे दिया। अन्न का मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, दूषित अन्न खाने से गुस्सा आने लगा, जिससे झगड़े होने लगे और फिर मुकदमेबाजी शुरू हो गई, जिससे धन का नाश होता गया।

उन्होंने कहा कि मां, भारत मां और गौमाता से कभी विमुख नहीं होना चाहिए, इसलिए देशी गाय पालने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर बामनहेरी के प्रधान ब्रह्म सिंह ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धा वाले माहौल में किसान कर्ज के मकड़जाल में फंसता जा रहा है और इससे निकल नहीं पा रहा है, जबकि कर्ज के जाल से निकलकर किसान को आत्मनिर्भर बनना चाहिए, ताकि वह तरक्की कर सके। इसके लिए रासायनिक खादों व उर्वरक के प्रयोग के बजाय जैविक खेती अपनायें।

इस अवसर पर बीके जयंती दीदी ने सभी अतिथियों व किसान भाइयों का आभार जताया और भविष्य में किसानों के लिए बडा कार्यक्रम आयोजित किए जाने की घोषणा की। इस अवसर पर मंच संचालन पूजा बहन ने किया। कार्यक्रम में कमलेश चंद गौतम, जगदीश बालियान, विनय शर्मा, प्रताप, जीत सिंह, राजकुमार, विपिन, उर्मिल, विधि, दीपा, मीडिया प्रभारी केतन कर्णवाल आदि का सहयोग रहा।

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