Friday, November 22, 2024

जेएनयू में अनुशासन तोड़ने पर लगेगा 30 हजार रुपए तक जुर्माना, एडमिशन भी हो सकता है रद्द

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में धरना-प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर 20 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इससे भी आगे बढ़ते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन, धरना प्रदर्शन करने वाले छात्रों का एडमिशन भी रद्द कर सकता है। विश्वविद्यालय के छात्र और छात्र संगठन इस फैसले के खिलाफ हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और वामपंथी छात्र संगठन दोनों ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रशासन से नाखुश हैं। छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय ने अनुचित तौर पर विरोध प्रदर्शन जैसी सामाजिक गतिविधियों के लिए भारी जुर्माना लगाने का फैसला किया है।

20,000 रुपए जुर्माना और एडमिशन रद्द किए जाने के अलावा यदि कोई छात्र हिंसा से जुड़े किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो उस पर 30 हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने इसको लेकर बकायदा आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए हैं। यह दिशानिर्देश ‘अनुशासन और आचरण के नियम’ शीर्षक से जारी किए गए हैं। जेएनयू द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों के मुताबिक ऐसे मामलों में प्रॉक्टोरियल जांच और बयानों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि नए नियम विश्वविद्यालय के सभी छात्रों पर लागू हैं। एडवाइजरी में कई अन्य क्रियाकलापों को भी शामिल किया गया है जैसे कि कैंपस के भीतर जुआ खेलना, छात्रावास के कमरों पर अनधिकृत कब्जा करना और अभद्र भाषा आदि।

विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक छात्रों के खिलाफ दर्ज की जाने वाली शिकायत की एक कॉपी छात्रों के अभिभावकों को भी प्रेषित की जाएगी। ऐसा करने का उद्देश्य यह है कि अभिभावक विश्वविद्यालय में अपने बच्चों के क्रियाकलापों से अवगत हो सकें।

विश्वविद्यालय प्रशासन के मुताबिक आवश्यक होने पर शिक्षकों एवं छात्रों की शिकायतों को केंद्रीय स्तर की शिकायत निवारण समिति को भेजा जा सकता है। वहीं विश्वविद्यालय कैंपस से जुड़े छेड़खानी, यौन शोषण, रैगिंग और सांप्रदायिक वैमनस्य का कारण बनने वाले विषय चीफ प्रॉक्टर के कार्यालय के दायरे में होंगे। शिकायत न्यायालय में जाने पर विश्वविद्यालय का मुख्य प्रॉक्टर कार्यालय आदलती के आदेशानुसार कार्रवाई करेगा।

एबीवीपी जेएनयू के सचिव विकास पटेल ने इस विषय पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इस नई तुगलकी आचार संहिता की कोई आवश्यकता नहीं है। पुरानी आचार संहिता पर्याप्त रूप से प्रभावी है। सुरक्षा और व्यवस्था में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, जेएनयू प्रशासन ने इस कठोर आचार संहिता को लागू किया है। हितधारकों, विशेष रूप से छात्र समुदाय के साथ किसी भी चर्चा के बिना यह नए नियम लागू किए गए हैं। हम कठोर आचार संहिता को पूरी तरह से वापस लेने की मांग करते हैं।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय