Sunday, April 13, 2025

“फूले नहीं जो फूल बनें, वो क्रांति के बीज थे”-भारत रत्न की मांग को लेकर शोषित समाज संगठन का मुज़फ्फरनगर में धरना प्रदर्शन

 

 

मुज़फ्फरनगर। महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय शोषित समाज संगठन ने शुक्रवार को कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में जिलेभर से सैनी, पाल, कश्यप सहित अन्य अति पिछड़े वर्गों के समाजसेवी और प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के नाम 6 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

 

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संगठन की प्रमुख मांगों में महात्मा ज्योतिबा फुले को भारत रत्न सम्मान देने, 11 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने, तथा जानसठ बस अड्डे से अलमासपुर चौराहे तक के मार्ग का नामकरण ‘महात्मा ज्योतिबा फुले मार्ग’ करने की मांग शामिल रही।

 

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ज्ञापन में संगठन ने मौजूदा 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण की समीक्षा करते हुए उसमें से 20 प्रतिशत आरक्षण अति पिछड़े वर्गों को दिए जाने की मांग की। साथ ही पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा सीटों तक अति पिछड़ों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने की भी मांग उठाई।

 

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पाल महासभा के जिलाध्यक्ष शिवकुमार पाल ने कहा, “महात्मा फुले महाराष्ट्र में जन्मे जरूर थे, लेकिन उन्होंने पूरे देश के वंचित और दबे-कुचले वर्गों को शिक्षा के माध्यम से आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा ही एकमात्र समाधान है।”

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अखिल भारतीय शोषित समाज संगठन के अध्यक्ष ब्रजबंधू एडवोकेट ने कहा कि महात्मा फुले केवल एक समाज सुधारक नहीं थे, बल्कि अति पिछड़े वर्गों जैसे सैनी, पाल, कश्यप, कुम्हार, धीमान आदि के लिए प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक रहे। उन्होंने कहा, “महात्मा फुले ने अपने संघर्षों से यह संदेश दिया कि आने वाली पीढ़ियों की लड़ाई हमें खुद लड़नी होगी। बाबा साहब अंबेडकर की विचारधारा को आगे बढ़ाने में फुले का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।”

संगठन ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आंदोलन किया जाएगा।

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