नोएडा। रेलवे में टीटीई के पद पर नौकरी दिलाने एवं देश के किसी भी जनपदों में शस्त्र लाइसेंस बनवाने के नाम पर लाखों रूपये की धोखाधड़ी करने वाले एक शातिर बदमाश को थाना सेक्टर-63 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। अभियुक्त फर्जी टीटीई लोगों को अपने जाल में फंसाता था। पुलिस ने इसके कब्जे से 7 फर्जी नियुक्त पत्र, 3 मोबाइल सहित अन्य सामान बरामद किया है।
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सेक्टर-71 स्थित एसीपी-1 सेंट्रल नोएडा कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि आज थाना सेक्टर-63 पुलिस ने लोकल इंटेलिजेंस एवं गोपनीय सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुये रेलवे विभाग में टीटीई के पद पर नौकरी दिलाने एवं शस्त्र लाइसेंस बनवाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाला अभियुक्त प्रशान्त कुमार गुप्ता पुत्र आनन्द कुमार को बहलोलपुर अंडरपास से एफएनजी गोल चक्कर की तरफ जाने वाली सर्विस रोड पर ग्रीन बेल्ट के गेट के पास से गिरफ्तार किया है।
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डीसीपी ने बताया कि कल एक युवक ने थाने में शिकायत की थी कि प्रशांत नाम के व्यक्ति ने शस्त्र लाइसेंस बनवाने के नाम पर उससे 71 हजार एवं मेरे भांजे को रेलवे विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर एक लाख रुपए की धोखाधडी की है। उन्होंने बताया कि शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर मामले की जांच कर रही थाना पुलिस ने आज आरोपी प्रशान्त को गिरफ्तार किया है।
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पुलिस को पूछताछ के दौरान पता चला है कि अभियुक्त अपने आप को लोगों से रेलवे विभाग नई दिल्ली में टीटीई के पद पर नियुक्त तथा रेलवे विभाग, पुलिस विभाग तथा डीएम कार्यालय जनपद गौतमबुद्ध नगर में अच्छी पकड़ होना बताता था तथा कहता था कि यदि उपरोक्त विभागों से संबंधित कोई कार्य हो तो मुझे बताना। माह नवंबर 2024 में प्रार्थी के पास कॉल कर अभियुक्त प्रशांत गुप्ता द्वारा संपर्क कर कंपनी में वेकेंसी होने एवं नौकरी दिलाने की बात की थी तथा उस समय अभियुक्त द्वारा अपना नाम विशाल बताया गया था।
करीब एक सप्ताह बाद अभियुक्त प्रशांत कुमार गुप्ता प्रार्थी की कंपनी जी-172 सेक्टर-63 के बाहर मिला और अपने को रेलवे विभाग में टीटीई के पद पर कार्यरत बताते हुए अपनी नियुक्ति नई दिल्ली में बतायी। प्रार्थी द्वारा अभियुक्त प्रशांत से उसकी आईडी मांगी गयी तो अभियुक्त प्रशांत द्वारा अपना आधार कार्ड व रेलवे की आईडी दिखायी गयी, जिन पर उसका नाम प्रशांत कुमार गुप्ता अंकित था।
प्रार्थी द्वारा पूछा गया कि आपने तो अपना नाम विशाल बताया था तब अभियुक्त द्वारा बताया गया कि मेरा घर का नाम विशाल है, जबकि मेरा सही नाम प्रशांत कुमार गुप्ता है। प्रार्थी को अपना शस्त्र लाइसेंस बनवाना था, जिस संबंध में प्रार्थी द्वारा अभियुक्त से बात की गयी तो उसके द्वारा लाइसेंस बनवाने के नाम पर अभियुक्त द्वारा उपलब्ध कराये गये फोन-पे पर भिन्न-भिन्न तिथियों में 71 हजार रुपए ऑनलाइन लिए गए।
बाद में अभियुक्त द्वारा प्रार्थी को यह भी बताया गया था कि रेलवे विभाग में कोटे की कुछ वेकेंसी निकली है अगर आपका कोई परिचित हो तो मैं उसको रेलवे विभाग में नौकरी दिला सकता हूं। तथा अभियुक्त ने नौकरी लगाने के नाम पर एक लाख रुपए नकद ले लिए। जब पीड़ित द्वारा अपने लाइसेंस एवं नौकरी के संबंध में जानकारी की जाती थी तो अभियुक्त द्वारा टाल-मटोली की जाने लगी और काम होने का आश्वासन देकर आगे का समय दे दिया जाता था तथा कुछ समय बीत जाने के बाद अभियुक्त द्वारा फोन उठाना बन्द कर नंबर ब्लॉक कर दिया गया।
डीसीपी ने बताया कि इस प्रकार अभियुक्त द्वारा करीब 8-10 लोगों के साथ रेलवे विभाग में नौकरी दिलाने एवं शस्त्र लाइसेंस बनवाने के नाम पर लाखों रूपये की धोखाधडी की गयी है, जिस संबंध में और भी विस्तृत रूप से जानकारी की जा रही है।