नोएडा। दिल्ली एनसीआर में इनफ्लुएंजा एच 3 एन 2 तेजी से पांव पसार रहा है और साथ ही साथ लोगों को परेशानी हो रही है। गनीमत की बात यह है कि दिल्ली एनसीआर के मुख्य भाग नोएडा में अभी तक इसका एक भी मरीज नहीं मिला है।
एहतियात के तौर पर निजी और सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों को सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) और इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आइएलआइ) के लक्षण वाले मरीज मिलने पर जांच के लिए निर्देशित किया गया है।
सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल के अलावा, सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआइ और सेक्टर-24 स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) अस्पताल की इमरजेंसी में बुधवार को 700 से अधिक मरीज पहुंचे। इनमें 40 प्रतिशत मरीज बुखार, खांसी, जुकाम, नाक बहना, उल्टी-दस्त और मांसपेशियों में टूटने जैसे लक्षणों वाले शामिल रहे। कई मरीजों को जांच की सलाह दी गई तो कई को कुछ देर के लिए भर्ती किया गया। कई लोगों में डायरिया भी देखा गया। इसलिए इन्हें इन्फ्लुएंजा वायरस के संदिग्ध के रूप में भी देखा गया। मरीजों के साथ आए तीमारदारों और स्वजन को डाक्टरों ने मास्क पहनने की सलाह दी।
शहर में इन्फ्लूएंजा-ए के सब टाइप एच3एन2 वायरस के टेस्ट की कोई सुविधा नहीं है। अभी तक किसी भी मरीज का नमूना भी नहीं लिया गया है। जिला अस्पताल, चाइल्ड पीजीआई और जिम्स में भी टेस्ट की सुविधा नहीं है और न ही किट है। शहर के बड़े निजी अस्पतालों और लैब में इंफ्लुएंजा टेस्ट के लिए तीन हजार साढ़े पांच हजार रेट हैं। लेकिन लैब ने नमूना लिया या नहीं विभाग के पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।
वायरस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर विभाग की ओर से अभी डेडिकेटेड अस्पताल नहीं है। जहां मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा सके। जबकि ऐसे मरीजों को भर्ती के लिए अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड जरूरी होता है।
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डा. अमित कुमार ने बताया कि इन्फ्लूएंजा एच 3 एन 2 का मरीज नहीं आया है। फिलहाल ऐसे मरीजों पर नजर रखी जा रही है जो सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी, गले में खराश व भूख कम लगने जैसी शिकायत लेकर आ रहे हैं। ओपीडी व वार्ड में डाक्टर-कर्मचारियों को मास्क लगाने के लिए कहा गया है। हाथों को समय-समय पर धुलने की भी सलाह दी जा रही है। मरीज-तीमारदारों को भी मास्क लगाने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।
वायरस की जांच से लिए मालीक्यूलर और बीएसएल-3 लैब होती है। जरूरत पड़ने पर सारी और आइएलआइ मरीजों का आरटीपीसीआर नमूना लेकर जांच के लिए लखनऊ और दिल्ली स्थित लैब में भेजा जाएगा। अभी घबराने जैसी कोई भी बात नहीं है। इस तरह का संक्रमण खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। हालांकि सावधानी बरतने की सख्त जरूरत है। जरूरत पड़ने पर कोविड अस्पताल में मरीजों को भर्ती के लिए बेड आरक्षित किए जाएंगे।