नयी दिल्ली- वित्त मंत्रालय ने वित्त विधेयक 2024- 25 में संशोधन करते हुए किसी व्यक्ति या एचयूएफ द्वारा 23 जुलाई, 2024 से पहले अधिग्रहित दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति (भूमि या भवन या दोनों) के हस्तांतरण के मामले में करदाताओं को बड़ी राहत देते हुऐ नई या पुरानी दोनों में से किसी एक योजना का चयन करने की छूट देने जा रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त विधेयक 2024-25 में संशोधन पेश करेंगी, जिसमें संपत्ति पर पूंजीगत लाभ के लिए इंडेक्सेशन लाभ को हटाने के विवादास्पद प्रस्ताव शामिल हैं।
नई योजना के तहत 12.5 प्रतिशत बिना इंडेक्सेशन के कर की गणना कर सकता है और पुरानी योजना के तहत इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत पर कर की गणना कर सकता है और ऐसा कर चुका सकता है जो दोनों में से कम हो।
प्रभावी रूप से, 23 जुलाई, 2024 को अब पूंजीगत लाभ की गणना के लिए कट-ऑफ तिथि के रूप में निर्धारित किया गया है, जबकि पहले 2001 की कट-ऑफ तिथि ने संपत्ति- परिसंपत्तियों के दीर्घकालिक मालिकों पर इसके प्रभाव को लेकर बहुत चिंता पैदा की थी।
इस बदलाव के जरिए ( जो इंडेक्सेशन के साथ और बिना इंडेक्सेशन के दो कर दरों की लचीलापन प्रदान करता है) मोदी सरकार ने उस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है, जो ‘पूर्वव्यापी’ कर कदम के रूप में माना जाने पर पैदा हुई थी।
ऐसी भी चिंताएं थीं कि मूल प्रस्ताव से लेन-देन के मूल्यों की कम रिपोर्टिंग होगी और रियल एस्टेट सौदों में नकदी का उपयोग बढ़ जाएगा।