प्रयागराज। 144 वर्षों के बाद दुर्लभ संयोग में रविवार आधी रात संगम पर पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो गया। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर विपरीत विचारों, संस्कृतियों, परंपराओं और मतों का महामिलन अगले 45 दिनों तक चलेगा। इस महाकुंभ में देश-विदेश से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों, भक्तों और कल्पवासियों के शामिल होने का अनुमान है।
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महाकुंभ की शुरुआत युगों पहले समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदों के छलकने से हुई थी। 13 जनवरी सोमवार को औपचारिक शुभारंभ के साथ यह महापर्व 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार महाकुंभ में 183 देशों के लोगों के आने की उम्मीद है। इन विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने भव्य तैयारियां की हैं।
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महाकुंभ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। केंद्र और राज्य सरकारें इसे वैश्विक मंच पर अद्वितीय रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही हैं। मेला क्षेत्र में रोजाना 800 से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
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मेले की भव्यता बढ़ाने के लिए 10 लाख वर्ग फीट में दीवारों पर पेंटिंग की गई है। विशेष रूप से सेक्टर-18 पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां वीआईपी गेट और 72 देशों के ध्वज लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद विदेशी अतिथियों का स्वागत करेंगे।
महाकुंभ 2025 आस्था, संस्कृति और मानवता का ऐसा संगम होगा, जो दुनिया भर के लोगों को जोड़ने और भारतीय परंपरा की विशालता को प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करेगा।