चंडीगढ़। वाड्रा लैंड डील मामले को लेकर हरियाणा की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। एक तरफ सरकारी अधिकारियों ने एक स्तर की जांच के आधार पर किसी प्रकार के नियमों के उलंघन से इनकार किया है तो दूसरी तरफ शुक्रवार को हरियाणा सरकार ने दावा किया है कि अभी किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी गई है।
हरियाणा की आईजी क्राइम द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस नेता सरकार को घेर रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के ओएसडी जवाहर यादव ने मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड के बीच हुए जमीन हस्तांतरण मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई रिपोर्ट को क्लीन चिट मानने से इनकार किया है।
पुलिस विभाग के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि उपरोक्त मामले की अभी जांच चल रही है। एसआईटी अभी भी अधिक प्रासंगिक दस्तावेज प्राप्त कर रही है और मामले से जुड़े कई व्यक्तियों की जांच कर रही है। एसआईटी जांच का दायरा सिर्फ राजस्व नुकसान की जांच तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जांच का उद्देश्य उन सभी लोगों की संलिप्तता का पता लगाना है जो कुछ व्यक्तियों को उच्च वित्तीय लाभ देने के मकसद से आपराधिक साजिश में शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि मानेसर के तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार मैसर्स स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को दिनांक 18 सितंबर 2012 को 3.5 एकड़ (वासिका नंबर 1435 की विवादित भूमि) बेची है और भूमि का यह हस्तांतरण भारतीय पंजीकरण अधिनियम, 1908 के अनुसार किया गया है और उक्त लेनदेन में किसी भी नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
प्रवक्ता ने बताया कि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय, चंडीगढ़ सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों की जांच की बारीकी से निगरानी कर रहा है। इस संबंध में सीडब्ल्यूपी-पीआईएल नंबर 29 ऑफ 2021 शीर्षक कोर्ट का स्वत:संज्ञान बनाम पंजाब राज्य और अन्य से प्रगति रिपोर्ट नियमित रूप से प्रस्तुत की जा रही है। एफआईआर नंबर-288/2018, पुलिस स्टेशन खेडक़ीदौला, गुरुग्राम की प्रगति रिपोर्ट भी इस मामले में राज्य द्वारा दायर व्यापक जवाब का एक हिस्सा थी और इसे गलत तरीके से ‘क्लीन चिट’ के रूप में माना जा रहा है।
प्रवक्ता ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई जांच की गहन समीक्षा के बाद पिछले महीने एसआईटी का पुनर्गठन किया गया है। राजस्व के साथ-साथ टाउन और कंट्री प्लानिंग मामलों की जानकारी रखने वाले दो अनुभवी वरिष्ठ सिविल अधिकारियों को भी जांच में तेजी लाने के उद्देश्य से एसआईटी के साथ जोड़ा गया है।