सहारनपुर। हिन्दू जागरण मंच की आयोजित बैठक में दारूल उलूम में गजबा ए हिन्द को पाठ्यम में शामिल करने व बच्चों को उग्रतावादी शिक्षा देने पर चिता जतायी गयी।
हिंदू जागरण मंच व रविदास विद्वत सभा की बैठक कमालपुर स्थित एक शैक्षिक संस्थान में में संपन्न हुई। जिसमें देवबंद के दारूल उलूम द्वारा गजवा ए हिन्द को पाठ्यक्रम में शामिल करने व मदरसा के बच्चों को उग्रता वादी शिक्षा देने पर चिंता जताई गई। हिन्दू जागरण मंच मेरठ प्रांत के सह संयोजक ठाकुर सूर्यकांत सिंह ने कहा कि इस्लामिक शिक्षा के केंद्र दारुल उलुम देवबंद ने गजवा ए हिन्द को मान्यता देने वाला फतवा जारी किया है। दारूल उलूम देवबंद ने अपनी वेबसाईट के माध्यम से ये फतवा जारी किया है। इसमें गजवा ए हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए महिमामंडित किया गया है। इसमें कहा गया है कि गज़वा ए हिन्द में मरने वाले महान बलिदानी होंगे। मुख्तार कंपनी द्वारा प्रकाशित सुन्न अल नसा नाम की किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा ए हिन्द को लेकर एक पूरा चैप्टर है।
जिसमें बताया कि हजरत अबू हुरैराह ने हडीथ के बारे में बताते हुए कहा है कि मैसेंजर ने ‘भारत पर हमला’ करने का वादा किया था। अगर मैं जिंदा रहा, तो इसके लिए मैं खुद और अपनी धन सम्पदा को कुर्बान कर दूंगा। मैं सबसे महान बलिदानी बनूंगा। सूर्यकांत राणा ने कहा कि इसमें इस बात का भी जिक्र किया गया है कि देवबंद की मुख्तार कंपनी ने इस किताब को प्रिंट किया है। जो कि एनसीपीसीआर कानून के अनुसार गंभीर अपराध है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व एनसीपीआर को दारुल उलूम देवबंद मदरसे में बच्चों को दी जा रही भारत विरोधी शिक्षा के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि इससे कट्टरपंथ को बढ़ावा मिल रहा है तथा यह किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का घोर उल्लंघन है। सीपीसीआर अधिनियम की धारा के तहत मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा है कि इस तरह के फतवे की सामग्री से देश के खिलाफ नफरत फैल सकती है।
आयोग ने जिला प्रशासन से दारुल उलूम की बेवसाइट की जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि इस मामले में शासन-प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। इस अवसर पर महंत जगराम दास, महंत मदन दास, मोहर दास, मांगे राम, प्रदीप ठाकुर, ललित शर्मा, मांगे राम त्यागी, अश्वनी शर्मा आदि उपस्थित रहे।