नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। दिल्ली के एम्स अस्पताल में खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके निधन के बाद देशभर में शोक की लहर है। शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुर्मु,धनखड़,मोदी,शाह सहित विभिन्न नेताओं ने मनमोहन सिंह के निधन पर जताया शोक
उनके निधन के साथ ही उनके द्वारा 10 साल पहले दिए गए ऐतिहासिक बयान “इतिहास शायद मेरे साथ न्याय करेगा” की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है। 2014 में अपने दूसरे प्रधानमंत्री कार्यकाल के अंत में उन्होंने इस बयान को सार्वजनिक मंच पर रखा था। यह बयान उनकी सरकार के दौरान उठे सवालों, घोटालों और व्यक्तिगत आलोचनाओं के संदर्भ में उनकी गहरी आत्मा की आवाज थी।
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डॉ. मनमोहन सिंह का दूसरा प्रधानमंत्री कार्यकाल (2009-2014) कई चुनौतियों और विवादों से भरा रहा। उनकी सरकार को महंगाई, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले और कोयला घोटाले के कारण विपक्ष और मीडिया की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। उन पर “कमजोर प्रधानमंत्री” होने का आरोप लगाया गया।
2014 में, प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अंत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा था:”मैं ईमानदारी से मानता हूं कि मीडिया या फिर संसद में विपक्ष मेरे बारे में चाहे आज जो भी कहे, पर मुझे भरोसा है कि इतिहास मेरे साथ न्याय करेगा।”उन्होंने आगे यह भी जोड़ा कि”मैं सरकार और कैबिनेट के सभी निर्णयों को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं कर सकता। लेकिन मुझे लगता है कि गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैंने जितना संभव था, उतना अच्छा किया।”
डॉ. सिंह के जीवन और करियर को अगर देखा जाए, तो वे हमेशा भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के केंद्र में रहे। 1991 में, जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोला और उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण की दिशा में अहम कदम उठाए।
- प्रधानमंत्री के रूप में दो कार्यकाल (2004-2014):
- उनकी सरकार ने सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) और ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) जैसी कई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की।
- परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भारत-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील उनके नेतृत्व की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
- अर्थशास्त्री से प्रधानमंत्री तक का सफर:
- मुख्य आर्थिक सलाहकार (1972-1976), भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर (1982-1985), और योजना आयोग के उपाध्यक्ष (1985-1987) के रूप में उन्होंने भारत की आर्थिक नीतियों को नया आकार दिया।
डॉ. सिंह के निधन के बाद उनका बयान “इतिहास शायद मेरे साथ न्याय करेगा” और अधिक प्रासंगिक हो गया है। समय के साथ उनके योगदान को सही तरीके से पहचाना गया है। उनकी ईमानदारी, शालीनता और दूरदर्शिता ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक अमूल्य नेता बना दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा,”डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब था। देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जिसने अपने ज्ञान और कर्तव्यनिष्ठा से भारत को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।” जन्म 26 सितंबर 1932, गाह, पंजाब (अब पाकिस्तान में) शिक्षा: ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की। योगदान: भारतीय राजनीति और प्रशासन में कई अहम भूमिकाएं निभाईं। निधन: 26 दिसंबर 2024, दिल्ली। डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।