Sunday, April 27, 2025

कितना बदल गया इंसान…

दिल बहुत दुखी है, दिल बहुत उदास है, कारण बहुत खास है। चेहरे पर झूठी मुस्कराहट लिए लोग जी रहे हैं, पता नहीं क्यों सब नकली-नकली सा लगने लगा है। जो जितना मुस्करा रहा है, लगता है कोई गम छिपा रहा है। बात नकली, चाल नकली, खाना-पीना नकली।

आज हम सब एक ऐसी अवस्था में जी रहे हैं कि जो नहीं चाहते वही कर रहे हैं। घर बड़े हो गये हैं, परन्तु दिल छोटे हो गये हैं। पहले मेहमान आने का इंतजार होता था आज लोग मेहमान न आने पर खुश होते हैं। पूछते थे कि आप कब आ रहे हैं। दो दिन मेहमान घर में रूकते थे। सबके पास एक-दूसरे के लिए समय था।

साधन कम थे, पर नियत सही थी। आज सब उल्टा हो गया है। साधन है, पर नियत नहीं। हम वह काम कर रहे हैं, जिसे हम न करना चाहते थे और न चाहते हैं कि हमारे बच्चे उस कार्य को करें।

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आज समाज बिना काम के व्यस्त है। पूरा दिन व्हाट्सअप, ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब पर वीडियो बनाने में निकल जाता है। फेसबुक पर 5000 से लेकर पता नहीं कितने दोस्त हैं, पर हकीकत में एक भी नहीं। जिन्दगी में लोग तन्हा है, कोई बात करने वाला नहीं, सुख-दुख बांटने वाला नहीं। अकेलापन खा रहा है। किसी को कह भी नहीं सकते, अंदर ही अंदर घुट रहे हैं।

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