नरेंद्र देवांगन
शंख ध्वनि का पौराणिक और धार्मिक महत्व उत्सव, पर्व, पूजा-पाठ, हवन, आरती, विवाह और मंगल अवसरों पर विशेष रूप से देखा जाता है। इसे विजय, समृद्धि, यश और शुभता का प्रतीक माना गया है। प्राचीन काल से लेकर सतयुग, त्रेता और द्वापर युग तक के ग्रंथों में भी शंखनाद का उल्लेख मिलता है। आज भी यह परंपरा यज्ञ, हवन, पूजा और आरती के समय निभाई जाती है।
शंख: पवित्रता का प्रतीक
पुराणों के अनुसार, शंख देवी लक्ष्मी का सहोदर और भगवान विष्णु का प्रिय वस्त्र है। यह माना जाता है कि जहां शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास अवश्य होता है। देवी लक्ष्मी ने स्वयं भगवान विष्णु के समक्ष कहा था—
“व सामि पद्मोत्पल शंख मध्ये
व सामि चंद्रे च महेश्वरे च।”
अर्थात्, “मैं पद्म, उत्पल, शंख, चंद्रमा और शिवजी में निवास करती हूं।”
शंख रखने के नियम
- घर या पूजा स्थल पर केवल एक शंख रखना शुभ माना जाता है।
- यदि दो से अधिक शंख रखने हों, तो वे विषम संख्या (3, 5, 7, 9 आदि) में होने चाहिए।
शंख के प्रकार और महत्व
1. शंख का आकार:
- अधिकांश शंख वामवर्ती होते हैं, जिनका मुंह बाईं दिशा में खुलता है।
- दक्षिणावर्ती शंख अधिक शुभ और समृद्धिकारक माना जाता है। इसका घुमाव दाईं ओर होता है और यह अत्यंत दुर्लभ होता है।
2. शंख के रंग:
- सबसे शुभ श्वेत (सफेद) शंख होता है।
- लाल, पीले, काले और धारियों वाले शंख भी पाए जाते हैं, लेकिन सफेद शंख को विशेष महत्व दिया जाता है।
शंख की उत्पत्ति
समुद्र मंथन के दौरान निकले चौदह रत्नों में से एक शंख भी था। शंख की उत्पत्ति जल से होती है, जो स्वयं जीवन का आधार है। इसी कारण इसे पवित्र माना जाता है।
शंख की प्रार्थना
पूजा के आरंभ में शंखमुद्रा से इसकी प्रार्थना की जाती है—
“त्वं पुरा सागरोत्पन्नो विष्णुना विधृतः करे।
नमितः सर्वदेवैश्च पांचजन्य नमोस्तुते।”
वैज्ञानिक दृष्टि से शंख ध्वनि का प्रभाव
बर्लिन विश्वविद्यालय में हुए एक शोध के अनुसार, शंख ध्वनि से वातावरण में मौजूद विषाणु नष्ट होते हैं। इससे तन और मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
शंख कब अपवित्र हो जाता है?
शंख को पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन निम्न स्थितियों में इसे पूजा के लिए अनुपयोगी माना जाता है—
टूट-फूट या दरार आने पर
ध्वनि में भिन्नता आने पर
यदि शंख बजता न हो
यदि हाथ से गिर जाए
यदि इसका स्वरूप विकृत हो
यदि शंख किसी भी स्थान से टूटा हुआ हो, तो उसे पुनः घिसकर ठीक किया जा सकता है। अन्यथा, इसे नदी या तालाब में प्रवाहित कर देना चाहिए।
शंख सिर्फ एक धार्मिक वस्तु नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी ध्वनि वातावरण को शुद्ध करने, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और मानसिक शांति प्रदान करने में सहायक होती है। यही कारण है कि शुभ कार्यों में शंख ध्वनि की परंपरा सदियों से चली आ रही है।