मुजफ्फरनगर। पालिका में भाजपा की प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप के चेयरपर्सन पद पर विजय हासिल करने और टाउनहाल में दस साल के बाद सत्ता में वापसी को लेकर पटेलनगर स्थित गौरव स्वरूप की कोठी पर जश्न का आलम है, वहीँ गांधीनगर स्थित भाजपा कार्यालय पर जिले में निकाय चुनाव में चेयरमैनी की दस सीटों में नौ सीट हारने और अपनी तीन सीटों को गंवा देने पर भाजपा नेताओं के बीच चर्चा का दौर भी दिखाई देने लगा है।
जिले में निकाय चुनाव में एक पालिका और आठ नगर पंचायतों में पार्टी को मिली हार के कारण भाजपा संगठन के नेताओं ने मंथन करते हुए हाईकमान को रिपोर्ट भेजने की तैयारी भी कर दी है। भाजपा की इस हार को लेकर जो मुख्य कारण सामने आया है, वो टिकट बंटवारे को लेकर शुरू हुई अपनों की लड़ाई की ओर ही जाता है। अपनों की नाराजगी ही भाजपा के लिए निकाय चुनाव में भारी पड़ी और यहां पर भाजपा केवल मुजफ्फरनगर पालिका को छोड़कर पूरे जिले में साफ हो गई।
मुजफ्फरनगर पालिका में भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप की बात करें तो भाजपा में अंदरुनी स्तर पर गौरव स्वरूप के टिकट का विरोध हुआ, लेकिन महिला सीट हुई तो मीनाक्षी की किस्मत का सितारा बुलंद हो गया और गौरव की रणनीति और भाग्य ने उन्हें विजयश्री हासिल करा दी।
जिले में दूसरी निकायों में भी भाजपा के टिकट की लड़ाई ने ही प्रदर्शन की बिसात पर उसका दम निकालकर रख दिया। बात जानसठ की करें तो यहां पर पूर्व चेयरमैन प्रवेंद्र भडाना को भाजपा ने दूसरी बार आजमाया। यहां पर रजनीश सैनी भाजपा से टिकट मांग रहे थे। उनको टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद गये। रजनीश ने 2116 वोट प्राप्त किये। अपनों की इस लड़ाई ने यहां भाजपा की लुटिया डुबो दी। रजनीश के मजबूत होने के कारण यहां पर भाजपा प्रत्याशी प्रवेन्द्र भडाना 1853 वोटों के अंतर से पराजित हो गये और सपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी आबिद हुसैन 5524 वोट लेकर चेयरमैन बन गये।
ऐसा ही कुछ खतौली पालिका में भी हुआ। यहां पर पारस जैन तीसरी बार चुनाव लडऩे के लिए तैयारी में थे कि सीट ओबीसी में आरक्षित हो गयी। पारस भाजपा से अपने प्रत्याशी के लिए टिकट चाह रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनको दरकिनार कर दिया और यहां पर नया प्रयोग कर उमेश कुमार को प्रत्याशी बना दिया । पारस जैन ने बगावत कर अपने समर्थक कृष्णपाल को निर्दलीय चुनाव लड़ाया और कृष्णपाल 10263 वोट लेकर भाजपा का खेल बिगाडऩे में कामयाब हो गये। यहां रालोद प्रत्याशी शाहनवाज लालू ने 16279 मत प्राप्त किये, जबकि भाजपा प्रत्याशी उमेश को 5977 वोट मिले। यदि ये वोट पारस जैन के प्रत्याशी को जोड़ दिये जाये , तो यहां शायद भाजपा का चेयरमैन हो सकता था।
सिसौली में भी ऐसा ही रहा। यहां पर नितिन बालियान अपनी पत्नी आरती के लिए भाजपा से टिकट मांगते रहे गये, लेकिन भाजपा ने ममता देवी को प्रत्याशी बना दिया। यहां पर पूर्व चेयरमैन सुरेन्द्र की पत्नी सुभाषिनी जीतीं और भाजपा छठे नम्बर पर खिसक गई। आरती बालियान दूसरे नम्बर पर रहीं। सुभाषिनी को 2324 वोट मिली, जबकि आरती को 2167, जीत और हार का अंतर मात्र 157 वोट ही रहा। ममता देवी को 492 वोट मिली। भाजपा के टिकट पर ये वोट आरती को मिलती तो शायद भाकियू की राजधानी में चेयरमैनी भाजपा की होती।
इसी तरह से चरथावल में भाजपा हाईकमान के द्वारा अपना प्रत्याशी उतारने का निर्णय दुर्गति करवाने वाला साबित हुआ है। यहाँ बीजेपी प्रत्याशी अजय वर्मा तो कुछ भी वोट नहीं ले पाए और अपनी जमानत ही गँवा बैठे। ऐसे में भाजपा शहर को छोड़कर कहीं पर भी प्रभावी साबित नहीं हो पाई है। इसी को लेकर मंथन का दौर शुरू हो गया है, हो सकता है कि हाईकमान से इस हार के लिए कुछ नेताओं पर गाज का फरमान भी आ जाये।