Friday, November 22, 2024

नागपुर में तीन नाबालिग बच्चों के शव एसयूवी में मिलने से मचा हड़कंप,पुलिस जांच में जुटी

नागपुर। नागपुर में तीन नाबालिग बच्चों के शव मिलने से हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक ये नाबालिग शहर के फारूक नगर इलाके से 17 जून से लापता थे। पुलिस ने सोमवार को ये जानकारी दी। पुलिस के अनुसार, बच्चों की पहचान आफरीन खान (6), उसके चचेरे भाई आलिया खान (6) और तौफीक खान (4) के रूप में हुई है, जो शनिवार दोपहर लंच के बाद अपने घर के बाहर खेलने गए थे।

बताया जा रहा है कि पास में एक लावारिस एसयूवी कार खड़ी थी, उसमें बच्चों ने खेलने के लिए प्रवेश किया, लेकिन किसी कारण फोर्ड इकोस्पोर्ट कार के दरवाजे अपने आप बंद हो गए।

घटना के करीब 30 घंटे के बाद एक स्थानीय महिला ने वहां बदबू आने की शिकायत की। शिकायत के बाद स्थानीय लोग और पुलिस टीम एसयूवी की जांच के लिए मौके पर पहुंची। पुलिस को कार से तीनों बच्चों के शव बरामद हुए।

पुलिस के मुताबिक बच्चों ने जान बचाने के लिए पूरा संघर्ष किया। वाहन की धूल भरी विंडशील्ड पर बच्चों की उंगलियों के निशान थे। फिलहाल एसयूवी से शवों को निकाल लिया गया है।

बच्चों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए मेयो अस्पताल में भेज दिया गया है। पुलिस ने इस पूरी घटना की वीडियोग्राफी की है।

जानकारी के मुताबिक कार नागपुर के एक स्थानीय व्यक्ति की थी, जिसे आसपास के एक गैरेज मैकेनिक द्वारा पावरलूम वर्कशॉप के बाहर पार्क किया गया था।

बता दें कि पंचपोली पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई गई गुमशुदगी की शिकायत के बाद, लगभग 200 कर्मियों की अलग-अलग टीमों ने सीसीटीवी फुटेज को स्कैन किया, पड़ोस में घर-घर जाकर तलाशी ली और एक डॉग स्क्वायड भी वहां गया, लेकिन बच्चों को ट्रैक करने में विफल रहा।

स्थानीय लोगों ने कहा कि आमतौर पर कारों को खुला छोड़ दिया जाता है, और बच्चे अक्सर अंदर खेलते हैं, लेकिन इस बार हो सकता है कि बच्चों ने अनजाने में इसे लॉक कर दिया हो और फंस गए हों।

पंचपोली पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीनों बच्चों की मौत का कारण दम घुटना बताया गया है, जो अत्यधिक गर्मी की वजह से हुआ है।

आगे की जांच में विसरा को परीक्षणों के लिए संरक्षित कर लिया गया है, अंतिम ऑटोप्सी रिपोर्ट का इंतजार है और पुलिस ने आकस्मिक मौत की रिपोर्ट दर्ज की है।

नागपुर के पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार, पुलिस उपायुक्त एम. सुदर्शन (अपराध) और डीसीपी गोरख भामरे (जोनल) के नेतृत्व में शीर्ष अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।

पीड़ित परिवार उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं और पिछले कुछ सालों से नागपुर में काम कर रहे हैं और किराए के घरों में रह रहे हैं।

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