Saturday, November 23, 2024

मोदी सरकार के नौ साल में जन पक्षधर नीति से सभी क्षेत्र में आया परिवर्तन : प्रो. राकेश सिन्हा

बेगूसराय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ वर्ष सिर्फ शासन के नौ वर्ष नहीं हैं, बल्कि यह मोदी क्रांति का दौर है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस नौ वर्ष में बदलाव सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में ही नहीं हुआ। बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक क्षेत्र में भी ऐसा हुआ, जिसकी शुरुआत 1947 में ही होनी चाहिए थी।

राज्यसभा सदस्य (सांसद) प्रो. राकेश सिन्हा ने बुधवार को यह बातें बेगूसराय में हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इस नौ वर्ष में देश आर्थिक ताकत के रूप में दुनिया भर में उभरा है। अपने संसाधनों और मानव शक्ति के आधार पर देश ने ना सिर्फ स्वावलंबन की ओर कदम बढ़ाया। बल्कि दुनिया की पूंजी को अपनी ओर आकर्षित किया।

उन्होंने कहा कि भारत अब बाजार नहीं निर्माता देश है। सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि सुरक्षा के क्षेत्र में हम सिर्फ आयात करते थे। अधिकांश विदेशी मुद्रा उसी में खर्च होता था। पहली बार ऐसा हुआ जब नरेन्द्र मोदी ने सैकड़ों रक्षा सामग्री का निर्माण भारत में शुरू किया। अभी 14 हजार करोड़ का उन चीजों का निर्यात किया गया, जिसका हम आयात करते थे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की ताकत का उपयोग किया तो दुनिया की राजनीति में भारत हस्तक्षेप कर रहा है। उसी का परिणाम है कि दुनिया के देशों में नरेन्द्र मोदी जाते हैं तो वहां के शासक आदर के साथ झुकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति हों या ब्रिटेन के प्रधानमंत्री, सभी उस भूमिका को स्वीकार करते हैं। अपनी विरासत का उपयोग दुनिया में कर मोदी ग्लोबल लीडर बन गए हैं।

अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा को धर्म प्रचार के लिए विदेश भेजा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश जाते हैं तो राजनेता ही नहीं, स्वयं भारत की संस्कृति के राजदूत बनकर जाते हैं। वहां के शासनाध्यक्ष को कभी भागवत गीता तो कभी प्रतिमा देते हैं। भारत की जिस संस्कृति को दुनिया में रखना है, उसी मूल भाव को रखते हैं। संयुक्त राष्ट्र जाकर भारत के वैशिष्ट्य योग को रखा तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई।

मोटा अनाज को लोग गरीबों का भोजन कहते थे, लेकिन स्वास्थ्य के उस आधार को श्रीअन्न बनाकर अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स बनाया। भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना जगाई। उसी प्रगति को मोदी क्रांति कहते हैं। इतिहास में समाज, विचार और संगठन की भूमिका होती है, लेकिन कभी-कभी व्यक्तित्व की भूमिका भी अहम हो जाती है।

सोवियत में लेलिन, इंग्लैंड में चर्चिल और अमेरिका में लिंकन की जो भूमिका थी। उसी प्रकार मोदी ने अपनी योग्यता, कर्मठता और विवेक के आधार पर काम किया। मोदी ने विशिष्ट व्यक्तित्व और विशिष्ट दृष्टि के आधार पर कार्य किया है। प्रधानमंत्री बनते ही कहा था अमेरिका जाने का वीजा लेने के लिए भारत में लंबी कतार लगती है, भारत को ऐसा बनाना है कि यहां आने के लिए अमेरिका में लंबी कतार लगे और आज वह सही साबित हो रहा है।

आजादी के बाद भी महिलाएं शौच के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाती थी। यह शर्मनाक बात सबको दिखाई पड़ रहा था। लेकिन मोदी ने इसे सिर्फ आंखों से नहीं देखा, बल्कि संवेदनशीलता से देखा, आज घर-घर शौचालय बन गए। करोड़ों गरीब लोग बैंक का बोर्ड देखकर समझते थे कि यह बड़े लोगों की जगह है। लेकिन मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही जन धन योजना शुरू कर 40 करोड़ से अधिक लोगों को बैंक से जोड़ दिया। किसानों को उनका हिस्सा दिया।

उन्होंने कहा कि व्यक्ति की दृष्टि, विवेक और क्षमता उसके व्यक्तित्व का निर्माण करती है। उसी व्यक्तित्व के निर्माण से प्रधानमंत्री ने समाज के लिए जन पक्षधर नीति के द्वारा देश में परिवर्तन लाया। परिवर्तन सिर्फ अपने में नहीं, अपने द्वारा करोड़ों को प्रेरित किया। उनके प्रधानमंत्री बनते ही दो करोड़ लोगों ने एक अपील पर गैस सब्सिडी लेना छोड़ दिया था, यह साधारण बात नहीं है।

असाधारण व्यक्तित्व वाले व्यक्ति ने सामान्य रूप में अपने को रखते हुए और असामान्य कार्य करके देश और देश की पद्धति को बदल दिया। बौद्धिकता और श्रम शक्ति को प्रभावित किया। काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार की चिंता करते हैं तो नए पार्लियामेंट का भी निर्माण करते हैं, जो श्रमिक उसे बनाते हैं उनके साथ बैठकर सम्मान का भाव रखते हैं। यही मोदी सरकार के नौ वर्ष के कार्य का मूल आधार है।

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