नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बदलती वैश्विक व्यवस्था के कालखंड में भारत के मानव केन्द्रित विकास के विज़न को दुनिया के लिए नया भरोसा करार दिया है और कहा है कि भारत आपदाओं में मानवता की रक्षा के साथ साथ एशिया से लेकर यूरोप तक कनेक्टिविटी के विस्तार को बल देकर 21वीं सदी के परिदृश्य को बदलने की दिशा में काम कर रहा है।
राष्ट्रपति ने 18वीं लोकसभा के गठन के बाद संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “21 वीं सदी के इस तीसरे दशक में आज वैश्विक व्यवस्था एक नई शक्ल ले रही है। मेरी सरकार के प्रयासों से आज भारत, विश्व बंधु के रूप में दुनिया को नया भरोसा दे रहा है। मानव-केंद्रित दृष्टिकोण रखने की वजह से भारत आज किसी भी संकट के समय पहले कार्रवाई करने वाला और ग्लोबल साउथ की बुलंद आवाज बना है। कोरोना का महासंकट हो, भूकंप जैसी कोई त्रासदी हो या फिर युद्ध की स्थितियां, भारत मानवता को बचाने में आगे रहा है।”
श्रीमती मुर्मु ने कहा, “भारत को देखने का विश्व का नज़रिया कैसे बदला है, ये इटली में हुई जी-7 शिखर सम्मेलन में भी हम सभी ने अनुभव किया है। भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान भी विश्व को अनेक मुद्दों पर एकजुट किया। भारत की अध्यक्षता के दौरान ही अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थाई सदस्य बनाया गया है। इससे अफ्रीका महाद्वीप के साथ-साथ पूरे ग्लोबल साउथ का भरोसा मज़बूत हुआ है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “पड़ोसी प्रथम की नीति पर चलते हुए, भारत ने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है। सात पड़ोसी देशों के नेताओं का 9 जून को केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना सरकार की इस प्राथमिकता को दर्शाता है।” उन्होंने कहा, “भारत, सबका साथ-सबका विकास की भावना के साथ, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ भी सहयोग बढ़ा रहा है।
पूर्वी एशिया हो या फिर पश्चिमी एशिया और यूरोप, मेरी सरकार कनेक्टिविटी पर बहुत बल दे रही है। भारत के विजन ने ही भारत मध्य-पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को आकार देना शुरू किया है। यह कॉरिडोर, 21वीं सदी के सबसे बड़े गेमचेंजर्स (परिदृश्य बदलने वाले) में से एक सिद्ध होगा।”