नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा स्वीकृत तीनों कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून 26 जनवरी से पहले अधिसूचित किए जा सकते हैं। गृह मंत्रालय का कहना है कि इस बदलाव से एक ऐसी प्रणाली स्थापित होगी, जिससे 3 साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल सकेगा।
संसद ने बीते माह संपन्न हुए शीतकालीन सत्र में ये विधेयक पारित किए थे। जानकारी के मुताबिक अब गृह मंत्रालय इन तीनों आपराधिक कानूनों को लागू करने के लिए अधिसूचना जल्द ही जारी करने जा रहा है। ये नए कानून ब्रिटिश राज से चले आ रहे इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और एविडेंस एक्ट का स्थान लेंगे।
सरकार का कहना है कि नया कानून लागू होने से जल्दी न्याय मिलेगा। तय समय के अंदर चार्जशीट फाइल होगी। साक्ष्य जुटाने के लिए 900 फॉरेंसिक वैन देशभर के 850 पुलिस थानों के साथ जोड़ी जांएगी। गरीब आदमी के लिए न्याय महंगा नहीं होगा। गृह मंत्रालय के मुताबिक नागरिक सुरक्षा संहिता में 9 नए सेक्शन और 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं। 44 नई व्याख्याएं और स्पष्टीकरण जोड़े हैं। 14 धाराओं को निरस्त किया है।
इसी तरह भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें एक नया अपराध माॅब लिंचिंग का है। 41 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। 25 अपराधों में न्यूनतम सजा की शुरुआत हुई है। 6 अपराधों में सामूहिक सेवा को दंड के रूप में स्वीकार किया गया है और 19 धाराओं को निरस्त किया गया है।
इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत 170 धाराएं होंगी, 24 धाराओं में बदलाव किया है। नई धाराएं और उपाधाराएं जोड़ी गई हैं। नए कानून में धारा 375 और 376 की जगह बलात्कार की धारा 63 होगी। सामूहिक बलात्कार की धारा 70 होगी, हत्या के लिए धारा 302 की जगह धारा 101 होगी। लोकसभा ने इन तीनों विधेयकों को 20 दिसंबर और राज्यसभा ने 21 दिसंबर को पारित किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल संसद में रखे थे, जिन्हें ध्वनि मत से पारित किया गया। 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा इन्हें मंजूरी दी गई थी।