महू (मध्य प्रदेश)। भारत का रक्षा निर्यात एक दशक पहले के 2,000 करोड़ रुपये से बढ़कर रिकॉर्ड 21,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मध्य प्रदेश के दौरे के दौरान महू छावनी में आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूसी) में अधिकारियों को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारा रक्षा निर्यात, जो एक दशक पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये था, अब 21,000 करोड़ रुपये के प्रभावशाली स्तर को पार कर गया है। इसी के साथ हमने 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात लक्ष्य रखा है।” उन्होंने जानकारी दी कि भारत में बनाए गए उपकरणों (मेड इन इंडिया इक्विप्मेंट) को दूसरे देशों में भेजा जा रहा है। सिंह ने कहा कि लगातार आगे बढ़ते और विकसित होते समय में एडवांस टेक्नोलॉजी में निपुणता हासिल करना समय की मांग है।
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उन्होंने आगे कहा कि सैनिकों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने में मिलिट्री ट्रेनिंग सेंटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में कहा, “इंफॉर्मेशन वॉरफेयर, एआई बेस्ड वॉरफेयर, प्रॉक्सी वॉरफेयर, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वॉरफेयर, स्पेस वॉरफेयर और साइबर अटैक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं।” उन्होंने इस तरह के हमलों से लड़ने के लिए सेना को अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सुसज्जित होने की जरूरत पर जोर दिया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इन्फेंट्री स्कूल में वेपन ट्रेनिंग, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) में एआई और कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी, एडब्ल्यूसी में जूनियर और सीनियर कमांड जैसे क्षेत्रों में ट्रेनिंग के जरिए इंटीग्रेशन बढ़ाने की संभावनाओं का पता लगाने का आग्रह किया।
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उन्होंने कहा, कुछ अफसर भविष्य में दूसरे देशों में दूतावास या उच्चायोग में नियुक्त होंगे, जिनकी जिम्मेदारी अहम होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन अधिकारियों को वैश्विक स्तर पर राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि सरकार भारत को दुनिया की सबसे मजबूत आर्थिक और सैन्य शक्तियों में से एक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “आर्थिक समृद्धि तभी संभव है जब सुरक्षा पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसी तरह, सुरक्षा व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।” रक्षा मंत्री सिंह ने सीमाओं की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सबसे पहले प्रतिक्रिया देने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की।