मेलबर्न। बॉक्सिंग-डे टेस्ट मैच में भारत को आखिरी दिन 184 रन से करारी हार का सामना करना पड़ा। यह हार भारतीय क्रिकेट के लिए गहरे आत्ममंथन का विषय बन गई है, और कप्तान रोहित शर्मा पर सवालों की बौछार शुरू हो गई है।
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मैच के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों ने कई सवाल पूछे, लेकिन कोई भी उनसे यह पूछने की हिम्मत नहीं कर सका कि क्या उनका प्रदर्शन टीम में उनकी जगह को वाजिब ठहराता है। पिछले कुछ महीनों में रोहित का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। सितंबर से अब तक उन्होंने 15 पारियों में मात्र 164 रन बनाए हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की छह पारियों में भी उन्होंने सिर्फ 31 रन बनाए, जो तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के विकेटों की संख्या (30) से सिर्फ एक ज्यादा है।
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ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सिडनी टेस्ट उनके टेस्ट करियर का आखिरी मैच हो सकता है। हालांकि, रोहित खुद को बिना संघर्ष किए इस प्रारूप से बाहर नहीं करना चाहते। उनकी रक्षात्मक शैली और खराब shot selection उनकी लगातार असफलताओं की वजह बन रही है।
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टीम चयन पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या किसी युवा खिलाड़ी को इतने खराब प्रदर्शन के बावजूद टीम में बने रहने का मौका मिलता? यह सवाल भारतीय क्रिकेट के भविष्य और कप्तानी के निर्णयों पर एक बड़ी बहस छेड़ता है।
जीत के लिए 340 रन के मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत बेहद खराब रही। रोहित शर्मा (9) और विराट कोहली (5) सस्ते में आउट हो गए। यशस्वी जायसवाल (84) को छोड़कर कोई भी बल्लेबाज बड़ा योगदान नहीं दे पाया। भारतीय बल्लेबाजी की नाकामी के चलते टीम को 184 रन से हार का सामना करना पड़ा।
यह हार भारतीय टीम के लिए एक चेतावनी है। चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन को न केवल कप्तान की फॉर्म बल्कि टीम में युवा खिलाड़ियों को मौका देने और रणनीति में बदलाव पर विचार करना होगा। यदि टीम इस दिशा में कदम नहीं उठाती, तो आगामी सीरीज में भी ऐसी निराशाजनक प्रदर्शन देखने को मिल सकता है।