धन की वर्षा की मनोकामना का पर्व दीपावली मूल रूप से तीन त्योहारों का लगातार पर्व है, धनतेरस से प्रारंभ होकर अमावस्या तक त्यौहार बड़ी धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ बनाया जाता है। लक्ष्मी का आगमन सबके घर में हो ऐसा विश्वास करते हुए प्रथम त्यौहार धनतेरस त्रयोदशी तिथि को बनाई जाती है।
यह त्रयोदशी तिथि मंगलवार 29 अक्टूबर को सुबह 10.32 से प्रारंभ होगी जो 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 तक रहेगी, इसलिए धनतेरस मंगलवार को, चतुर्दशी तिथि 30 अक्टूबर दोपहर 1.15 से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर सांय 3.52 तक है इसके पश्चात शाम को अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो बहुत ही शुभ एवं मंगलकारी है।
महामृत्युंजय सेवा मिशन अध्यक्ष संजीव शंकर ने बताया कि लोक परंपराओं के अनुसार अमावस्या तिथि को रात्रि को दीपों का उत्सव बनाते हैं, अखंड दीप प्रज्वलित करते हैं, लक्ष्मी के आगमन का धैर्य से इंतजार करते हैं, बिना किसी संशय के 31 अक्टूबर दिन गुरुवार को दीपावली पर्व बनाना श्रेष्ठ है।
इसके अलावा एक संशय और दूर करना चाहिए, अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त भी लोग अपनी परंपराओं के अनुसार अपनी पैतृक स्थान पर जाते हैं यह कार्य प्रात: कालीन होता है, 1 नवंबर को अमावस्या तिथि सूर्योदय के समय हैं, यदि संभव हो 1 नवंबर को पितरों के निमित्त कार्य किया जा सकता है जिसमें कोई संशय नहीं है, पितृ अपने बच्चों को आशीर्वाद ही देंगे।