Wednesday, December 11, 2024

छात्रों को 21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाना जरूरी: मुर्मु

नयी दिल्ली – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को कहा कि प्रौद्योगिकी और कौशल के क्षेत्र में तेजी से हो रहे बदलावों को देखते हुए छात्रों को 21 वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाना होगा।

श्रीमती मुर्मू ने धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है लेकिन अब इसकी गति बहुत तेज़ है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं जिसके कारण प्रौद्योगिकी और आवश्यक कौशल भी बहुत तेज़ी से बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी के शुरू में कोई नहीं जानता था कि अगले 20 या 25 वर्षों में लोगों को किस तरह के कौशल की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा , “ कई मौजूदा कौशल अब भविष्य में उपयोगी नहीं रहेंगे, इसलिए हमें लगातार नए कौशल अपनाने होंगे। युवाओं को इस तरह से ढाला जाना चाहिए कि वे तेजी से हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बैठा सके। हमें छात्रों में सीखने की जिज्ञासा और इच्छा को मजबूत कर उन्हें 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा।”

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाए और उनके चरित्र तथा व्यक्तित्व का निर्माण करे। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में अपनी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता के प्रति जागरूकता लाना भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस संबंध में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कार्य क्षेत्र केवल शिक्षण तक ही सीमित नहीं है, उन पर देश के भविष्य के निर्माण की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।

श्रीमती मुर्मु ने कहा , “ हमारा ध्यान ‘क्या सीखें’ के साथ-साथ ‘कैसे सीखें’ पर भी होना चाहिए” उन्होंने कहा कि जब छात्र बिना किसी तनाव के स्वतंत्र रूप से सीखते हैं, तो उनकी रचनात्मकता और कल्पना को उड़ान मिलती है। ऐसे में वे शिक्षा को सिर्फ आजीविका का पर्याय नहीं मानते. बल्कि, वे नवप्रवर्तन करते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं और जिज्ञासा के साथ सीखते हैं।

राष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों की क्षमता होती है इसलिए छात्रों को कभी बुराई को अपने उपर हावी नहीं होने देना चाहिए चाहे वे कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हों। उन्होंने छात्रों से करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को आदर्श बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों के आधार पर वे सफल और सार्थक जीवन जी सकते हैं।

श्रीमती मुर्मु ने कहा कि युवाओं में विकास की अपार संभावनाएं हैं। वे विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। अत: उन्हें स्वयं को राष्ट्र के प्रति समर्पित कर देना चाहिए। यह न केवल उनका मानवीय, सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है बल्कि एक नागरिक के रूप में भी उनका कर्तव्य है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय