नई दिल्ली। द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को याद करते हुए इतालवी सैन्य इतिहासकारों ने इटली के मोंटोन शहर में एक स्मारक स्थापित किया है, जिसका उद्घाटन भारत की राजदूत डॉ. नीना मल्होत्रा की मौजूदगी में किया गया। युद्ध के दौरान ऊपरी तिबर घाटी की ऊंचाइयों पर बलिदान हुए भारतीय सैनिक नाइक यशवंत घाडगे की याद में इसका नाम ‘वीसी यशवंत घाडगे सनडायल मेमोरियल’ रखा गया है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इतालवी अभियान में भारतीय सैनिकों ने केंद्रीय भूमिका निभाई थी, जिसमें चौथी, 8वीं और 10वीं डिवीजन के 50 हजार से अधिक भारतीय सेना के सैनिक शामिल थे। इटली में दिए गए 20 विक्टोरिया क्रॉस में से छह भारतीय सैनिकों ने जीते थे। युद्ध के दौरान 23,722 भारतीय सैनिक हताहत हुए, जिनमें से 5,782 भारतीय सैनिकों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। पूरे इटली में फैले 40 राष्ट्रमंडल युद्ध समाधि स्थलों में उनका स्मरण किया जाता है।
इसी क्रम में इटली में मोनोटोन के कम्यून और इतालवी सैन्य इतिहासकारों ने द्वितीय विश्व युद्ध में इतालवी अभियान के दौरान लड़ने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के तौर पर ‘वीसी यशवंत घाडगे सनडायल मेमोरियल’ स्थापित किया है। स्मारक का नाम ऊपरी तिबर घाटी की ऊंचाइयों पर युद्ध में मारे गए नाइक यशवंत घाडगे के नाम पर रखा गया है। उन्हें बाद में विक्टोरिया क्रॉस के सम्मान से भी नवाजा गया था। अनावरण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व इटली में भारत की राजदूत डॉ. नीना मल्होत्रा और भारतीय रक्षा अताशे ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में इतालवी नागरिक, विशिष्ट अतिथि और इतालवी सशस्त्र बलों के सदस्य भी उपस्थित थे।
इतालवी अभियान में लड़ने वाले भारतीय सेना के सभी रैंकों के वीरतापूर्ण बलिदान की स्मृति में स्मारक पर भारतीय सेना की एक पट्टिका लगाई गई है। यह स्मारक एक कार्यरत धूपघड़ी (सनडायल) के रूप में है। स्मारक का आदर्श वाक्य ‘ओमाइंस सब ईओडेम सोल’ है, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद ‘हम सभी एक ही सूर्य के नीचे रहते हैं’ है। इस स्मारक का उद्घाटन इस तथ्य का प्रमाण है कि द्वितीय विश्व युद्ध के इतालवी अभियान के दौरान भारतीय सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान और योगदान का इटली बहुत सम्मान करता है।